डूबते हुए हमे,वो लगे,
जैसे किनारे हो हमारे !
जितनेही पास गए,
वो उतनाही दूर गए,
वो भरम थे हमारे
वो कोई नही थे सहारे
उनके सामने हम डूबे लगा,उन्हें पानीसे भय लगे!
मै जितना किनारों के पास गया किनारे दूर होते चले गये यही संसार है आदमी चलते चलते थक जाता है और ज्योंही उसे मंजिल नजर आती है ,ठोकर खाजाता है। आदमी इसी भ्रम में जी रहा है और मजेदार बात यह कि डूवने वाला यही समझ रहा है कि शायद उन्हे पानी से डर लगता होगा।कोई उलाहना नहीं कोई शिकवा नहीं कोई शिकायत नहीं इसे कहते है सच्चे और निस्वार्थ प्रेम की अभिव्यक्ति ।
29 टिप्पणियां:
क्षमा जी बहुत सुंदर कविता है |बधाई और रामनवमी की शुभकामनाएं |
क्षमा जी बहुत सुंदर कविता है |बधाई और रामनवमी की शुभकामनाएं |
सुन्दर कविता। इसे पढ़कर एक फिल्मी गीत याद आ गया- हम थे जिनके सहारे। वो हुए ना हमारे।
सुन्दर पंक्तियाँ हैं क्षमा जी !राम नवमी की शुभकामनाये.
हम्म...
:):) बढ़िया है ..रामनवमी की शुभकामनायें
aapko bhi is sundar rachna ke liye badhai raamnavmi ke saath .
कविता सुन्दर!!
अओको भी राम नवमी की शुभकामनाएं!!
आदरणीय क्षमा जी
नमस्कार !
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
:)
dil se niklee panktiya......
shubhkamnae.
pyari se rachna...:)
राम नवमी की शुभकामनायें
kshama ji apko bhi ramnomi ki shubhkamnay.....apki rachna m ek attitude h jo iski prastuti ko or sharthak banati h!↲Jai ho mangalmay ho....
bahut sundar kavita
सुन्दर रचना , बहुत बहुत बधाई रामनवमी की शुभकामनायें....
thode shabdo me gahri aur sacchi baat kah di.
आदरणीया क्षमा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
प्रणाम !!
आपकी कविता बहुत भावपूर्ण है …
कुछ याद आ रहा है …
हम थे जिनके सहारे
वो हुए ना हमारे
डूबी जब दिल की नैया
सामने थे किनारे …
… लेकिन हाय ! भावनाओं का हमेशा ही ऐसा अंजाम !
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीया क्षमा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
प्रणाम !!
आपकी कविता बहुत भावपूर्ण है …
कुछ याद आ रहा है …
हम थे जिनके सहारे
वो हुए ना हमारे
डूबी जब दिल की नैया
सामने थे किनारे …
… लेकिन हाय ! भावनाओं का हमेशा ही ऐसा अंजाम !
* श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर कविता|
बधाई और शुभकामनाएं |
तैरना तो तभी जब किनारों तक खुद जा पहुँचने का दम हो या उनकी परवा न हो !
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।
इतने शुभदिन पर डूबने मरने की बातें? राम राम ।
अच्छी कविता है
मन की कुछ अन-कही-सी ...
राम नवमी और बैसाखी पर्व पर
शुभकामनाएं .
बढ़िया है ..रामनवमी की शुभकामनायें
मै जितना किनारों के पास गया किनारे दूर होते चले गये यही संसार है आदमी चलते चलते थक जाता है और ज्योंही उसे मंजिल नजर आती है ,ठोकर खाजाता है। आदमी इसी भ्रम में जी रहा है और मजेदार बात यह कि डूवने वाला यही समझ रहा है कि शायद उन्हे पानी से डर लगता होगा।कोई उलाहना नहीं कोई शिकवा नहीं कोई शिकायत नहीं इसे कहते है सच्चे और निस्वार्थ प्रेम की अभिव्यक्ति ।
एक दर्शन जिसे आपने सिद्दत से महसूस किया।
उनके सामने हम डूबे
लगा,उन्हें पानीसे भय लगे!
सुंदर और ग्राह्य भावों का सृजन मन को प्रभावित कर गया ....आपका आभार
achhi panktiyaan
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