मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

परिंदे!

लाल आंखोंवाली बुलबुल पँछी के जोड़े की ये कढ़ाई है. इनकी तसवीर देखी तो इकहरे धागे से इन्हें काढने का मोह रोक नही पाई.

कैसे होते हैं  ये परिंदे!
ना साथी के पंख छाँटते ,
ना उनकी उड़ान रोकते,
ना आसमाँ बँटते इनके,
कितना विश्वास आपसमे,
मिलके अपने  घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!

35 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

मनुष्य को इनसे ही सीखना चाहिए कुछ .

Satish Saxena ने कहा…

हम धूर्त और वे मासूम .....
कृपया तुलना बराबर बालों से करे तब ठीक लगेगा !
परिंदों की याद दिलाने के लिए आभार !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर...मनुष्य इनसे बहुत कुछ सीख सकता है...

Rajesh Kumari ने कहा…

hum insaano se kahi behtar hain ye parinde.bahut sundar kadhaai bahut sundar rachna.

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

bahut sundar abhiyakti .... abhaar.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबके साथ लंबी उड़ानें भरते हैं परिंदे।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

जानवरों और परिंदों के साथ हम रहते तो हैं लेकिन सीखते नहीं.. शायद इसलिए कि हम खुद को उनसे बेहतर नस्ल का मानते हैं.. जबकि सचाई कुछ और है!! खूबसूरत मिसाल!!

मनोज कुमार ने कहा…

पक्षियों का आचार-व्यवहार हमें बहुत कुछ सीख देते हैं और अथक परिश्रम करते हैं।

Atul Shrivastava ने कहा…

परिंदे बहुत कुछ सीखा जाते हैं, बशर्ते हम इंसान उनसे सीखना चाहें....

बेहतरीन रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूबसूरत सन्देश देती रचना ..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

आपके काम को पहचान क्यों नहीं मिलनी चाहिये. धागों से कूचियों की ही मानिंद मोहक रचना संसार है आपका.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत कुछ सिखाता है परिन्दों का व्यव्हार ...... अति सुंदर

कुमार संतोष ने कहा…

वाह..! सुंदर रचना खूबसूरत सन्देश देती..!

बधाई ....!!


आइये कभी मचान पर

Arvind Mishra ने कहा…

वाह, ये परिंदे ही तो हैं जिन्हें देखकर कवि कह उठता है नीड़ का निर्माण फिर फिर

सदा ने कहा…

वाह ...इन पंक्तियों में कितना प्रेरक संदेश दिया है आपने ... आभार ।

abhi ने कहा…

आज़ाद परिंदे!! :)

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कितनी सच्छाई छुपी है न शब्दों में ... और एक इंसान है जो अपने से ही पूरा नहीं पता .. मैं मैं मेरा मेरा ही करता है बस ...

Unknown ने कहा…

wah kya bat hai...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

kash insaan pakshiyon se hi kuchh seekh le le.

insaano se to pakshi hi acchhe hain.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

परिंदे इंसान नहीं होते, इतना ही अंतर है.

mridula pradhan ने कहा…

बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
wah.....

dinesh aggarwal ने कहा…

क्यों हम इनसे नहीं सीखते।
इन जैसे क्यों नहीं दीखते।।
हम से अच्छे होते पक्षी।
फिर भी हम हैं इनके भक्षी।।
शिक्षाप्रद रचना एवं प्रेरणा दायक प्रस्तुति।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाएं ...

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण प्रेरक प्रस्तुति.

परिंदों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है.

मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.

आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब प्रस्तुति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

vikram7 ने कहा…

बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!


बेहद पसंद आपकी रचना
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......

daanish ने कहा…

परिंदों को साक्षी बना कर
मानव-मन की
कई बातें कह दीं आपने ...

प्रभावशाली काव्य !
अभिवादन !!

संजय भास्‍कर ने कहा…

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर

Himkar Shyam ने कहा…

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें. छलके सुख, समृद्धि का मंगलघट. आये जीवन में आपके हर्ष, उल्लास और खुशियाँ अपार.
सादर,
हिमकर

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

parinde hamse jyada sanzide hote hain aur irshya dwesh jara bhi nahin. sundra rachna, shubhkaamnaayen.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर कढ़ाई। सुंदर शब्दों की बुनाई।
..वाह!

Nirantar ने कहा…

बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
rote bhee hein to aansoon nahee bahaate ye parinde

very nice thoughts

निर्झर'नीर ने कहा…

awaysome creation ,bahut gahri baat kah dii aapne ,kai mayno mein hum insan pashu pakshiyon se bhi gire hue hai.