दिल जलाये रक्खा था,
तेरी रौशने रातों की खातिर,
शम्मं हर रात जली,
सिर्फ़ तेरे खातिर...
सैकड़ों गुज़रे गलीसे,
बंद पाये दरवाज़े,
या झरोखे,दिले बज़्म के,
सिवा उनके लिए,
वो जो मशहूर हुए,
वादा फरोशी के लिए...
२) चले आएँगे तेरे पास!
चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
23 टिप्पणियां:
बहुत खूब!
आदर्श गद्य काव्य की एक बेहतरीन बानगी।
जारी रखिए...........
चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
--क्षमा करें क्षणिकाएँ का अर्थ होता है गागर में सागर भरना
मेरी समझ से इसका यहीं अंत कर देना था। यहीं बात पूरी हो जाती
आगे लिखकर इसका महत्व कम हो गया है।
ये चार लाइनें बेहद उम्दा हैं इसलिए लिखने से रोक न सका।
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
amazing one !!
चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...waah man ko chhu gayi ,aap bahut hi sundar likhti hai ,komal bhav se sani hui bhavuk rachna .
wah
dil ko chhuu liya dono ne
चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
Kya khoob likhtii hein...pasand aayee aapki rachna ...
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
bahut hi sunder panktiya....
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
बहुत प्यारी पन्क्ितयॉं हैं।
bahut accha likhatee hai aap . ati sunder abhivyaktee.
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
Bahut sender...
तेरे लिये प्रकाश मिले ,तेरी रातें रौशन रहे इसलिये हमने अपना दिल जलाये रखा । प्रेम मे समर्पण की एक अच्छी मिसाल ।और दूसरी बात तो बेहद प्रसंशनीय कि गति दौनो की एक है ,दौनो चलते रहेगे तो कभी मिल न पायेंगे इसलिये हम निरन्तर चलते रहेंगे और जब भी तू रुकेगा ,मिलन होगा ।यह भी बहुत अच्छा कि पास आने के तो बहाने अनेक और दूर जाने की बजह भी नही ।
पिछली रचनाओं मे रुको मै अभी आया वाली क्षणिका बेहद भावपूर्ण है ,उस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है ,लेकिन टिप्पणी की भी एक सीमा होती है इसलिये केवल इतना ही कि आश्वासन , एक उम्मीद, एक इन्तजार कष्टदायक होता है ।एक आहट आती रही वाली रचना भी खूबसूरत है " न उनके आने का वादा ,न यकीं न उमीद/मगर क्या करें गर न इन्तज़ार करे ।""
Bahut khub likha hai.
चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
sundar chdikayen pesh ki hai apne..
बहुत अच्छी और अर्थपूर्ण रचना
बहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
pls visit...
www.dweepanter.blogspot.com
बहुत कम शब्दों में कही गयी बहत गहरी बात
dono kshanikaaeiN
bahut sundar likhi haiN
lafz-lafz khud baat karta hai .
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
शानदार पंक्तियाँ है !!
नव वर्ष की शुभकामनायें !
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
बहुत खूब क्षमाजी ,सुंदर क्षणिकाएं ।
बहुत खूब
क्षमा जी,
क्षणिकाएं सारगर्भित और सार्थक हैं
लेकिन ये क्या,
इतने दिनों से नया कुछ नहीं?
चलिये 'क़लम' उठाईये
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
इन दौड़ती भागती लम्हों में
रूकने की सदा अब कौन सुने
बिछड़े हैं कई अपने इसमें
अपनों की सदा अब कौन सुने।
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