तुम से दोस्ती की है,इसलिए कहने का मन करता है...
केवल ग़रज़ की खातिर नाता कभी ना जोड़ना,
असुविधा लगे तो झट से कभी ना तोड़ना...
खून का नहीं,इसलिए कौड़ी मोल ना समझना ,
भावनाओं का मोल जानो,बड़प्पन में खो ना जाना...
ज़िंदगी के हर मोड़ पे नया रिश्ता जुड़ता है,
जीवन भर पूरा हो,इतना प्यार मिलता है...
अपनी अंजुरी आगे करना ,अभिमान ना धरना,
सिर्फ व्यवहार का लेनदेन बीछ में ना लाना...
जितना मिले,लेते रहना,जितना हो देते रहना,
लिया दिया जब ख़त्म हो ,और मांग लेना...
समाधान में होता है समझौता..इसे मान लो,
रिश्ता बोझ नहीं,तहे दिल से समझ लो...
बस,विश्वास के चार शब्द...दूसरा कुछ मत देना,
समझबूझ के रिश्ता निभाना,कुछ क़दम चल,पीछे मत हटना....
समाधान में होता है समझौता..इसे मान लो,
रिश्ता बोझ नहीं,तहे दिल से समझ लो...
बस,विश्वास के चार शब्द...दूसरा कुछ मत देना,
समझबूझ के रिश्ता निभाना,कुछ क़दम चल,पीछे मत हटना....