रविवार, 11 मार्च 2012

उस पार तो लगा दे!


सिल्क  पे  थोडा  water color,थोड़ी  कढाई .

अरे ओ आसमान वाले!
कब से नैय्या मेरी पडी है,
इंतज़ार में तेरे खड़ी है,
नही है खेवैय्या,ना सही,
पतवार तो दिला दे,
 उस पार तो लगा दे!

बुला रहा है मुझे,
वो दूर साहिलों से,
इस पार झील के,
मेरा कोई नही है..
उस पार तो लगा दे!

शाम ढल रही है,
घिरने लगे अँधेरे,
मछली मुझे बना दे,
बिनती करूँ हूँ तुझ से,
उस पार तो लगा दे..!


21 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

गहन भावों को समेटे अध्यात्मिक चिंतन युक्त सुन्दर प्रस्तुति ....शुभ कामनाएं

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बुला रहा है मुझे,
वो दूर साहिलों से,
इस पार झील के,
मेरा कोई नही है..
उस पार तो लगा दे!

आप इन उदासियों को दूर फेंक दीजिये हम सब पहले वाली क्षमा जी चाहते हैं

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति ...

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह सुंदर

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सुन्दर रचना....

खिलखिलाइये............
हंसी की लहर ले जायेगी नैया किनारों तक
:-)
सादर.

सदा ने कहा…

अनुपम भाव संयोजन लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

mridula pradhan ने कहा…

शाम ढल रही है,
घिरने लगे अँधेरे,
मछली मुझे बना दे,
बिनती करूँ हूँ तुझ से,
उस पार तो लगा दे..!wah....bahot khoobsurat.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पार परे एक और सागर है..

वाणी गीत ने कहा…

उस पार ना जाने क्या होगा ...फिर भी जाने की उत्सुकता और प्रार्थना !

Arvind Mishra ने कहा…

हे जाने की ये कैसी बातें -अभी न जाओ छोड़कर! :) हाँ उस पार कुछ मौज मस्ती हो तो हम नहीं रोकते ...
इस पार प्रिये तुम हो मधु है उस पार न जाने क्या होगा !
वैसे नाव बैठाने को ललचाती लग रही है -साथ साथ बैठकर तो उस पार हो ही सकते हैं मुसाफिर! :)

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

नही है खेवैय्या,ना सही,
पतवार तो दिला दे....

सुन्दर रचना...
सादर.

संजय भास्‍कर ने कहा…

शाम ढल रही है,
घिरने लगे अँधेरे,
मछली मुझे बना दे,
बिनती करूँ हूँ तुझ से,
उस पार तो लगा दे..!
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

vandana gupta ने कहा…

उफ़ बेहद गहन और दिल से निकले उद्गार

बेनामी ने कहा…

इंतज़ार में तेरे खड़ी है,
नही है खेवैय्या,ना सही,
पतवार तो दिला दे,
उस पार तो लगा दे!...behad umda!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बुला रहा है मुझे,
वो दूर साहिलों से,
इस पार झील के,
मेरा कोई नही है..
उस पार तो लगा दे ...

कभी कभी इंसान चलावे में रहता है पता नहीं उस पार कुय होगा ... पर सब जगह एक सा ही है ...
गहरे भाव हैं मन के ...

Aruna Kapoor ने कहा…

तहे दिल से निकली हुई प्रार्थना!....कितने सुन्दर शब्दों में ढाली है आपने!

Kailash Sharma ने कहा…

अंतर्मन के गहन उदगार और उनकी सुंदर और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..बहुत सुंदर

dinesh aggarwal ने कहा…

भावपूर्ण सुन्दर अभिवियक्ति....

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुंदर।

Dr Xitija Singh ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है ... :)

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

बुला रहा है मुझे,
वो दूर साहिलों से,
इस पार झील के,
मेरा कोई नही है..
उस पार तो लगा दे!

सुंदर, अति सुंदर।