सोमवार, 30 अप्रैल 2012

शमा हूँ मै...



सिल्क के चंद टुकड़े जोड़ इस चित्र की पार्श्वभूमी बनाई. उस के ऊपर दिया और बाती रंगीन सिल्क तथा कढाई के ज़रिये बना ली. फ्रेम मेरे पास पहले से मौजूद थी. बल्कि झरोखानुमा फ्रेम देख मुझे लगा इसमें दिए के  सिवा और कुछ ना जचेगा.बना रही थी की,ये पंक्तियाँ ज़ेहन में छाती गयीं....

रहगुज़र हो ना हो,जलना मेरा काम है,
जो झरोखों में हर रात जलाई जाती है,
ऐसी इक  शमा हूँ मै..शमा हूँ मै...

 परछाईयों संग झूमती रहती हूँ मै,
सदियों मेरे नसीब अँधेरे हैं,
सेहर होते ही बुझाई  जाती हूँ मै...

24 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

बेहद खूबसूरत तस्वीर है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शमा का ही काम है जल कर रोशनी देना।

आशा बिष्ट ने कहा…

सेहर होते ही बुझाई जाती हूँ मै...ye panktiyan bahut kuch kah gai..

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़ क्षमा जी......

सेहर होते ही बुझाई जाती हूँ मै...
बहुत बढ़िया भाव...
सादर.

alka mishra ने कहा…

आपकी कलाकारी के आगे तो मैं नतमस्तक हूँ और आपकी ये भावपूर्ण पंक्तियाँ बस भेद जाती है दिल का कोना कोना

Arvind Mishra ने कहा…

गहन भाव

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वाह

सदा ने कहा…

आप तो हर कला का बड़ी ही बारीकि से चयन करती हैं चाहे वह रंग हों या फिर शब्‍द ...
उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए आभार ।

कल 02/05/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


...'' स्‍मृति की एक बूंद मेरे काँधे पे '' ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

कला और काव्य का अनुपम संगम!!

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत प्यारी रचना |
आशा

abhi ने कहा…

Beautiful!!! :)

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बेहतरीन रचना...

Asha Joglekar ने कहा…

जितनी सुंदर तस्वीर उतनी ही गहरी कविता ।

शम्मा हर शाम से जलती हा सहर होने तक ।

Rishi ने कहा…

hamesha ki tarah...ati sundar...dil ko chu lene waala...behetreen..:)

Rishi ने कहा…

aur nishchit hi jo frame aapne bnai hai wo bhi bahut hi sundar hai...badhaiyaan...!!

Aruna Kapoor ने कहा…

कला का एक उत्तम नमूना...मेरे सामने है!..एक कलाकार का सौहार्द पूर्ण स्वागत!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रहगुज़र हो ना हो,जलना मेरा काम है,
जो झरोखों में हर रात जलाई जाती है,
ऐसी इक शमा हूँ मै..शमा हूँ मै...

आध्यात्म की बात करें तो अपना कार्य करना ही असल जीना है ...
लाजवाब शब्द और कमाल का फेम बना होगा ...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना...

मनोज कुमार ने कहा…

कला का अद्भुत नमूना।

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुंदर । धन्यवाद ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

तस्वीर के अनुरूप सोच और फिर शब्द-सृजन, बधाई.

Satish Saxena ने कहा…

बेहतरीन कलाकृति ..
शानदार अभिव्यक्ति

लोग इससे अधिक करेंगे क्या
फिर भी लोगों के काम आती हूँ

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही उम्दा चित्र और कविता |