गुरुवार, 8 नवंबर 2012

एक वो भी दिवाली थी...!

मेरा धारावाहिक," बिखरे सितारे" जिसे मैंने 2009 में लिखा था, ये उसकी पहली कड़ी है। उस दिवाली को इस दीवाली में पूरे 60 साल हो जायेंगे। सिर्फ यही कड़ी दोबारा पोस्ट करने जा रही हूँ।
आप सभी को दीवाली मुबारक हो!

एक वो भी दिवाली थी 


क़िस्सा शुरू होता है, आज़ादी के दो परवानों से...जो अपने देश पे हँसते, हँसते मर मिटने को तैयार थे..एक जोड़ा...जो अपने देश को आजाद देखना चाहता था...एक ऐसा जोड़ा,जो, उस महात्मा की एक आवाज़ पे सारे ऐशो आराम तज, हिन्दुस्तान के दूरदराज़ गाँव में आ बसा...उस महात्मा की आवाज़, जिसका नाम गांधी था...

गाँव में आ बसने का मक़सद, केवल अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी कैसे हो सकता है? आज़ादी तो एक मानसिकता से चाहिए थी...एक विशाल जन जागृती की ज़रूरत ...इंसान को इंसान समझे जाने की जागृती...ऊँच नीच का भरम दूर करनेकी एक सशक्त कोशिश...काम कठिन था...लेकिन हौसले बुलंद थे...नाकामी शब्द, अपने शब्द कोष से परे कर दिया था,इस युवा जोड़े ने..और उस तरफ़ क़दम बढ़ते जा रहे थे...

अपने जीते जी, देश आज़ाद होगा, ये तो उस जोड़े ने ख्वाबो ख़याल में नही सोचा था...लेकिन,वो सपना साकार हुआ...! आज हम जिसे क़ुरबानी कहें, लेकिन उनके लिए वो सब करना,उनकी खुश क़िस्मती थी...कहानी को ८५ साल पूर्व ले चलूँ, तो परिवार नियोजन अनसुना था...! इस जोड़े ने उन दिनों परिवार नियोजन कर, केवल एक ही औलाद को जन्म दिया...जिसे पूरे पच्चीस साल अपने से दूर रखना पड़ा...गर ये दोनों कारावास के अन्दर बाहर होते रहते तो, एक से अधिक औलाद किस के भरोसे छोड़ते? उस गाँव में ना कोई वैद्यकीय सुविधा थी, ना पढाई की सुविधा थी...इन सारी सुविधाओं की खातिर इस जोड़े ने काफी जद्दो जहद की...लेकिन तबतक तो अपनी इकलौती औलाद,जो एक पुत्र था,उसे, अपने से दूर रखना पडा ही पडा...

कौन था ये जोड़ा? पत्नी राज घराने से सम्बन्ध रखती थी...नज़ाकत और नफ़ासत उसके हर हाव भाव मे टपकती थी..पती भी, उतने ही शाही खानदान से ताल्लुक रखता था...लेकिन सारा ऐशो आराम छोड़ आने का निर्णय लेने में इन्हें पल भर नही लगा...
महलों से उतर वो राजकुमारी, एक मिट्टी के कमरे मे रहने चली आयी...अपने हाथों से रोज़ गाँव मे बने कुएसे पानी खींच ने लगी...हर ऐश के परे, उन दोनों ने अपना जीवन शुरू किया...ग्राम वासियों के लिए,ये जोड़ा एक मिसाल बन गया...उनका कहा हर शब्द ग्राम वासी मान लेते...हर हाल मे सत्य वचन कहने की आदत ने गज़ब निडरता प्रदान की थी..ग्राम वासी जानते थे,कि, इन्हें मौत से कोई डरा नही सकता...

बेटा बीस साल का हुआ और देश आज़ाद हुआ...गज़ब जश्न मने......! और एक साल के बाद, गांधी के मौत का मातम भी...

पुत्र पच्चीस साल का हुआ...पढाई ख़त्म हुई,तो उसका ब्याह कर दिया गया...लडकी गरीब परिवार की थी,जो अपने पिता का छत्र खो चुकी थी..लेकिन थी बेहद सुंदर और सलीक़ेमन्द...ब्याह के दो साल के भीतर,भीतर माँ बनने वाली थी...

कहानी तो उसी क़िस्से से आरंभ होती है...बहू अपनी ज़चगी के लिए नैहर गयी हुई थी...बेटा भी वहीँ गया था..बस ३/४ रोज़ पूर्व...इस जोड़े को अब अपने निजी जीवन मे इसी ख़ुश ख़बरी का इंतज़ार था...! दीवाली के दिन थे...३ नवेम्बर .. ...उस दिन लक्ष्मी पूजन था..शाम के ५ बज रहे होंगे...दोनों अपने खेत मे घूमने निकलने ही वाले थे,कि, सामने से, टेढी मेढ़ी पगडंडी पर अपनी साइकल चलाता हुआ, तारवाला उन्हें नज़र आया...! दोनों ने दिल थाम लिया...! क्या ख़बर होगी...? दो क़दम पीछे खड़ी पत्नी को पती ने आवाज़ दे के कहा:" अरे देखो ज़रा..तार वाला आ रहा है..जल्दी आओ...जल्दी आओ...!"

तार खोलने तक मानो युग बीते..दोनों ने ख़बर पढी और नए, नए दादा बने पुरूष ने अपने घरके अन्दर रुख किया...!

कुछ नक़द उस अनपढ़ तार वाले को थमाए...आज से अर्ध शतक पहले की बात है...अपने हाथ मे पच्चीस रुपये पाके तारवाला गज़ब खुश हो गया..उन दिनों इतने पैसे बहुत मायने रखते थे....दुआएँ देते हुए बोल पड़ा,
"बाबा, समझ गया... पोता हुआ है...! ये दीवाली तो आपके लिए बड़ी शुभ हुई...आपके पीछे तो कितनी दुआएँ हैं...आपका हमेशा भला होगा...!"

दादा: " अरे पगले....! पोता हुआ होता तो एक रुपल्ली भी नही देता..पोती हुई है पोती...इस दिनके लिए तो पायी पायी जोड़ इतने रुपये जोड़े थे..कि, तू ये ख़बर लाये,और तुझे दें...!"

तारवाला : " बाबा...तब तो आपके घर देवी आयी है...वरना तो हर कोई बेटा,बेटा ही करता रहता है..आपके लिए ये कन्या बहुत शुभ हो..बहुत शुभ हो...!"

दादा :" और इस बच्ची का आगे चलके जो भी नाम रखा जाएगा...उसके पहले,'पूजा' नाम पुकारा जाएगा...!"
तारवाला हैरान हो उनकी शक्ल देखने लगा...! क्या बात थी उसमे हैरत की...?वो पती पत्नी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक़ रखते थे...!
तारवाले ने फिर एक बार उन दोनों के आगे हाथ जोड़े...अपनी साइकल पे टाँग चढाई और खुशी,खुशी लौट गया..! उसकी तो वाक़ई दिवाली मन गयी थी...! मुँह से कई सारे आशीष दिए जा रहा था...!

कौन थी वो खुश नसीब जो इस परिवार के आँखों का सितारा बनने जा रही थी...? जो इनकी तमन्ना बनने जा रही थी...उस नन्हीं जान को क्या ख़बर थी,कि, उसके आगमन से किसी की दुनिया इतनी रौशन हो गयी...?

दादी के होंठ खुशी के मारे काँप रहे थे...नवागत के स्वागत मे बुनाई कढाई तो उसने कबकी शुरू कर दी थी..लेकिन अब तो लडकी को मद्दे नज़र रख,वो अपना हुनर बिखेरने वाली थी...पूरे ४२ दिनों का इंतज़ार था, उस बच्ची का नज़ारा होने मे...सर्दियाँ शुरू हो जानी थी...ओह...क्या,क्या करना था...!

दोनों ने मिल कैसे, कैसे सपने बुनने शुरू किए..!

वो बच्ची और कोई नहीं,मै  स्वयं थी!

15 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

अच्छा किया दुबारा पोस्ट करके. मीने नहीं पढ़ा था पहले.
आपको भी दिवाली की शुभकामनायें

Kailash Sharma ने कहा…

वो दिन भी क्या दिन थे...बहुत सुंदर

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

आपको दिवाली की शुभकामनायें ..... सादर ....गेट वेल सून

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही अच्छी पोस्ट |आपको भी दीपावली बहुत -बहुत मुबारक |

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर कहानी बतायी है आपने

Arvind Mishra ने कहा…

यह बायोग्राफी की शुरुआत है न ....? आटोबायोग्राफी नहीं कह रहा हूँ :-)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

आपका यही अन्दाज़ तो आपकी अच्छी सेहत का एहसास कराता है.. वो बच्ची सेहतमंद रहे यही दुआ करते हैं हम!!
दीवाली की शुभकामनाएँ!!

बेनामी ने कहा…

सपरिवार दीपोत्सव की हार्दिक बधाई तथा शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की मंगल कामना - सादर

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…




ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान

**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
ஜ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

Unknown ने कहा…

Bahut bahut pyara andaz likhne ka....bilkul pahle jaisa...zara sa bhi nahi badla kuchh bhi.

kshama ने कहा…

Ye aalekh," Ek wo bhee Diwali thee", 3/4 poorv likha gaya hai...kewal dobara post kiya! Mera lekhan to ekdam band hai.Ek wajah ye hai,ki,maine taqreeban bistar pakad liya hai. Severe osteoporosis. Mere blog lekhan se waise hee gharwalon ko chidh thee...ab to sehat ne jawab de diya!
Aaplog kaise hain?

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

ओह! आपकी यह पोस्ट कमेंट!!

हमारी शुभकामनाएँ आपतक पहुँचे। ईश्वर आपको स्वास्थ लाभ प्रदान करे।

बेनामी ने कहा…

बिखरे सितारे पर की गई टिपण्णी
"धिक्कार है ऐसी व्यवस्था पर - सादर"

Delivery Status Notification (Failure) बताकर bounce हो रही है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गुज़रे हुवे को भावनाओं में सहज ही बांधना ... देल में उतर गया सब कुछ ...