' बिखरे सितारे' इस ब्लॉग से अलग यह ब्लॉग बनाया...वजह, यहाँ रोज़मर्रा की कुछ घटनाएँ पाठकों के साथ सांझा कर सकूँ...
' बिखरे सितारे ' एक धारावाहिक है।' सिमटे लम्हें', ये स्वतंत्र विचारोंका एक प्रवाह होगा..कभी गद्यमय तो कभी पद्यमय। एक अन्य ब्लॉगर सहेली को आमंत्रित करना चाहती हूँ,कि, ब्लॉग की उपेक्षा ना हो जाय।
' बिखरे सितारे' पे की गयीं कुछ काव्य रचनाएँ यहाँ ज़रूर डाल दिया करूँगी, क्योंकि, कुछ पाठकों के पास धारावाहिक पढ़नेका समय नही होता।
एक 'दैनन्दिनी' की तरह ये ब्लॉग होगा...जो झूलेकी तरह से झूलेगा...वर्तमान से भूतमे...या फिर भविष्य में...मन होता ही ऐसा है..अस्थिर..डोलता रहता है...इसकी नकेल पकड़ना आसान काम नही..सधे हुए साधक/साधू ही ये हुनर जानते हैं....मै इसे अनिर्बंध छोड़ दूँगी...जब जहाँ वो, तब तहाँ मै...
गर कोई ब्लॉगर मित्र अपना साक्षात्कार देने के लिए राज़ी हुए, तो वह भी करना चाहती हूँ...कईयों से काफ़ी कुछ सीख रही हूँ...
आज शुरुआत है...पिछले दो दिन ब्लॉग वाणी बंद होगी ये सबको तक़रीबन विश्वास हो गया था...हुआ क्या था,ये तो अबतक नही पता..लेकिन मन नही मान रहा था,कि, बुराई का अच्छाई पे विजय हो सकता है...कदापि नही...अच्छाई मर के भी, विजयी होती है.....बुराई जिंदा भी रहे, तो पराजितों की तरह जीती है...
सबसे प्रथम सभी ब्लॉगर पाठक दोस्तों को बधाई दूँगी,कि, रावण विजयी नही हुआ....राम गर सत्य का प्रतीक हैं,तो देर सवेर जीत सत्य की ही होगी...आज फिर एकबार विश्वास हो गया। अच्छाई पे लांछन चाहे सैकड़ों लगें, लेकिन वो छुप नही सकती।
आज बस इतना ही...जब जैसा, तब तैसा...ये ब्रीद वाक्य बना रहेगा...
मंगलवार, 29 सितंबर 2009
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14 टिप्पणियां:
यह अलग चिट्टा बना कर अच्छा ही किया। लेकिन काले पर सफेद से लिखे रहने पर पढ़ने में मुश्किल होती है।
स्वागत है ......
...जो झूलेकी तरह से झूलेगा...वर्तमान से भूतमे...या फिर भविष्य में...मन होता ही ऐसा है..अस्थिर..डोलता रहता है...इसकी नकेल पकड़ना आसान काम नही..सधे हुए साधक/साधू ही ये हुनर जानते हैं....मै इसे अनिर्बंध छोड़ दूँगी...जब जहाँ वो, तब तहाँ मै...
वाह साहब
भाषा का सौंदर्य प्रशंशा का अधिकारी है
लेखनी और संवेदना के मिलन से उपजती है रचना
दृष्टी और परिवीक्छन इसे गहराई प्रदान करते है
आप के पास ये सभी विशेषताएं उपलब्ध हैं
बधाई
स्वागत है आपका । शुभकामनायें ।
गुलमोहर का फूल
Bahut barhia... isi tarah likhte rahiye
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स्वागत और शुभकामनाएं.
अच्छी कोशिश आपकी शमां जी। आपने खूबसूरती से लिखा है कि - जो झूलेकी तरह से झूलेगा...वर्तमान से भूतमे...या फिर भविष्य में...मन होता ही ऐसा है..अस्थिर..डोलता रहता है...इसकी नकेल पकड़ना आसान काम नही..। सत्य वचन। चलिए मैं तो कोई साधू हूँ नहीं - मेरा भी मन डोल गया और साक्षात्कार देने के लिए मैंने खुद को राजी कर लिया। शुभकामना।
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श्यामल जी,
आपको क्षमाके साथ ये क्षमा एक अर्ज़ करती है ...टिप्पणी के लिए तहे दिलसे शुक्रिया ..लेकिन मै 'शमा ' नहीं क्षमा हूँ.. .......!!!
क्षमा जी से श्यामल सुमन क्षमा प्रार्थी है। दर असल मैं K SHAMA समझ गया था।
" bahut hi accha laga aapko padhker ...aapne to kamal ker diya ...aapko aapki is post ke liye badhai "
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" bahut hi badhiya ....aapko is behad khubsurat post ke liye dhero badhai "
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My best wishes to you in this new journey!
अच्छाई मर के भी, विजयी होती है.....बुराई जिंदा भी रहे, तो पराजितों की तरह जीती है...
ye baat toh ab zindagi bhar yaad rakhunga..... :)
aaj aapke blog ko achchhe se dekh raha tha...
isi bich ye dikh gaya...
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