१) देर ना कर राही...
देर न कर राही , अपनी मंजिल खोज ले ,
नही लौटने वाले ये क़ीमती लम्हें ,
या हाथ पकड़ इन राहों के ...
भोर तेरी मंजिल , तय कर ले ..
२ )ग़म का इतिहास
लंबा गम का इतिहास यहाँ ,
किश्तों में सुनाते हैं ,
लो अभी शुरू ही किया ,
और वो उठके चल दिया ?
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7 टिप्पणियां:
:)
लो अभी शुरू ही किया ,
और वो उठके चल दिया ?
i couldnt stop myself to smile on these lines..this is one of the truest truth of life...hum sabhi dhundhte hain ki koi ho jo sun sake.. :) is sign ka matlab smile hai ..
'koi dost hai na raqeeb hai ,
tera saher kitna ajeeb hai ..
main kise kahu mere saath chal ,
yahan sab ke sir pe saleeb hai ...'these lines are perfect..as i feel
बेहतरीन अभिव्यक्ति
लो अभी शुरू ही किया ,
और वो उठके चल दिया ?
कम अल्फाज़ का इस्तेमाल करते हुए भी
इतनी बड़ी और पायेदार बात कह देना
अपने आप में एक महारत माना जाता है
और ...आपको ये फ़न हासिल है
अभिवादन स्वीकारें
---मुफलिस---
रचना बहुत सुन्दर है. अचानक ही एक अन्य शेर याद आ गया-
बडे शौक से सुन रहा था ज़माना
तुम्हीं सो गये दास्तां कहते-कहते.
Wah kya baat hai bahut sunder abhivyakti..
"abhi to shuru kia tha
or vo uth kar chal diye"
bahut khoob.
बेहतरीन....
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