हां हर हाल में वक्त को तो निकलना ही था. कहां पकड पाते हैं हम उसे? और कहां कदम मिला पाते हैं उसके साथ..
apne aap ko apni bhavnao ko vykt karne ke liye aapke pas har vidha hai .badhai
अजी बहुत सुन्दर तरीके से आपने वक़्त को परिभाषित कर दिया। सच है वक़्त कब किसकी राह देखता है। दूसरी बात, आपने जिस उद्देश्य को ध्यान में रख सिमटे लम्हे शुरू किया है, मेरी शुभकामनायें हैं वो अपने लक्ष्य को बेधे। आपकी बाते प्रभावित करती है।
वाह बहुत खूब.....
aapne theek kaha wakt ret kee tarah muththi se fisal jata hai. aur pal pal karke gujar jata hai.
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5 टिप्पणियां:
हां हर हाल में वक्त को तो निकलना ही था. कहां पकड पाते हैं हम उसे? और कहां कदम मिला पाते हैं उसके साथ..
apne aap ko apni bhavnao ko vykt karne ke liye aapke pas har vidha hai .badhai
अजी बहुत सुन्दर तरीके से आपने वक़्त को परिभाषित कर दिया। सच है वक़्त कब किसकी राह देखता है।
दूसरी बात, आपने जिस उद्देश्य को ध्यान में रख सिमटे लम्हे शुरू किया है, मेरी शुभकामनायें हैं वो अपने लक्ष्य को बेधे। आपकी बाते प्रभावित करती है।
वाह बहुत खूब.....
aapne theek kaha wakt ret kee tarah muththi se fisal jata hai. aur pal pal karke gujar jata hai.
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