सोमवार, 18 जनवरी 2010

जल उठी शमा....!

शामिले ज़िन्दगीके चरागों ने
पेशे खिदमत अँधेरा किया,
मैंने खुदको जला लिया!
रौशने राहोंके ख़ातिर ,
शाम ढलते बनके शमा!
मुझे तो उजाला न मिला,
सुना, चंद राह्गीरोंको
हौसला ज़रूर मिला....
अब सेहर होनेको है ,
ये शमा बुझनेको है,
जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?

18 टिप्‍पणियां:

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

क्षमा जी,
बहुत अच्छा लगा
रचना भी
और उससे बढकर सक्रिय होने की खुशी हुई
......चंद राहगीरों को
हौसला ज़रूर मिला....
अब सेहर होने को है ,
ये शमा बुझने को है,
जो रात मे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?
कितनी गहरी बात कही है आपने
अगर ये 'अदना' है, तो
इसी कद को बरकरार रखियेगा
मुबारकबाद
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Arun sathi ने कहा…

आपके ब्लॉग पर लगी तस्वीर को देख कर बरबस ही निकल गया..............................................................
अपना भी एक नीर हो आसमां हो
अपना भी पंख हो
उड़ने का मन करे तो कभी आसमां न तंग हो
अपनी भी जमीं हो अपना भी जहां हो
अपना भी गीत हो अपनी भी प्रीत हो
संग अपने भी अपना मीत हो
सिमटे न लम्हे कभी मन के उड़न की
गाउं चहक चहक कर नित बसन्त की भोर में
साथी कभी ऐसा भी दुनीया की रीत हों

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता लगी आपकी शायद उसका कारण यह भी रहा है मुझे शिवमंगल सिंह जी की रचना ,आपकी कविता पढते पढ़ते याद आगई:-
मृत्तिका का दीप तब तक जलेगा अनिमेष //एक भी कण स्नेह का जब तक रहेगा शेष ।
प्रात जीवन का दिखा दो //फिर मुझे चाहे बुझा दो //यों अंधेरे में न छीनो- हाय जीवन-ज्योति के कुछ क्षीण कण अवशेष ।

SURINDER RATTI ने कहा…

Kshama Ji,
Saral aur chhoti si kavita ke bhaav achche hainअब सेहर होनेको है ,
ये शमा बुझनेको है,
जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?
Surinder

daanish ने कहा…

जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?

rachnaa mei
bhaavnaaeiN
khud bolti haiN .

कडुवासच ने कहा…

... सुन्दर भाव !!!!

Pawan Kumar ने कहा…

जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?
अच्छी नज़्म......
बहुत सुन्दर लफ़्ज़ों में ढली रचना......

Apanatva ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Apanatva ने कहा…

गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं

शमीम ने कहा…

Aapko Bhi Ganatantra diwas mubarak .

Bhhawo se sazi, AApki yeh prerak aur sandesh deti rachna bahut achi hai.

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सटीक और मार्मिक चित्रण किया है

sunny ने कहा…

दिल को छू गई

pramod kush ' tanha' ने कहा…

जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?

kitna sateek likha hai ...waah
bahut khob likhti hein aap...
blog par fir se aane ke liye bahut shukriya...aabhaar

sandhyagupta ने कहा…

मैंने खुदको जला लिया!
रौशने राहोंके ख़ातिर ...

Bahut khub likha hai.Badhai.

Satish Saxena ने कहा…

आप बहुत अच्छा लिखती हैं ...शुभकामनायें !

M VERMA ने कहा…

जो रातमे जलते हैं,
वो कब सेहर देखते हैं?
सेहर देखे या न देखें, रात को तो सेहर कर गये.
बहुत सुन्दर रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सटीक और मार्मिक चित्रण किया है