शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

परिंदे!


लाल आंखोंवाली बुलबुल पँछी के जोड़े की ये कढ़ाई है. इनकी तसवीर देखी तो इकहरे धागे से इन्हें काढने का मोह रोक नही पाई.

कैसे होते हैं  ये परिंदे!
ना साथी के पंख छाँटते ,
ना उनकी उड़ान रोकते,
ना आसमाँ बँटते इनके,
कितना विश्वास आपसमे,
मिलके अपने  घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!

34 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

मिलके अपने घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते....

मनुष्य चाहे तो प्रकृति के विभिन्न रूपों से बहुत कुछ सीख सकता है, लेकिन स्वार्थ ने उसे अंधा कर रखा है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

Apanatva ने कहा…

wah kya baat hai..........

seekhana chahe to bahut udahran mil sakte hai............
sarthak post.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत सुन्दर कढ़ाई है..

मनोज कुमार ने कहा…

वाह! सुंदर चित्र के साथ सुंदर विचार। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-आत्मविश्वास

संजय भास्‍कर ने कहा…

बड़ी प्रेरणादायी बातें ,बधाई !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत लाजवाब और उम्दा लिखा है .... गहरी बात आसानी से कह दी आपने ...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मिलके अपने घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!

बिल्कुल...देख लीजिए कितनी बड़ी शिक्षा दे रहे हैं ये परिन्दे...
क्षमा जी, आपकी कला अद्भुत है...
रचना भी उम्दा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

परिंदों के माध्यम से बहुत गहरी बात कह दी ..इंसान सारे दोष एक दूसरे पर लगाता रहता है ...अच्छी प्रस्तुति

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

एक सजीव कलाकारी और प्रेरक कविता...सचमुच पक्षियों से भी कितना कुछ सीख सकते हैं हम!! यदि सीखना चाहें तो!!

shikha varshney ने कहा…

काश हम भी होते परिंदे ही क्षमा जी....काश..

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कढ़ाई ...और कविता तो और भी सुन्दर..
काश हम इन पंछियों से कुछ सीख पाते....

मेरे ब्लॉग पर इस बार लानत है ऐसे लोगों
पर....

निर्मला कपिला ने कहा…

क्षमा अगर रोज़ रोज़ मुझे ऐसी तस्वीरें दिखाअगी तो भई मै तो अपनी फरमाई श भेज दूँगी । आज कल घरों मे औरतों ने इस नायाब कला को विदा दे दी है तो अच्छा लगता है जब किसी को कढाई करते हुये देखती हूँ। बहुत बहुत आशीर्वाद।

Unknown ने कहा…

bahut umda!!

Jai Ho mangalmay HO

vandana gupta ने कहा…

इतनी सुन्दर कढाई की है कि जीवन्त लग रही है………………कमाल करती हैं आप्………………आपकी कारीगरी लाजवाब है।

ज़मीर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता.

M VERMA ने कहा…

बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
बहुत सुन्दर और फिर आपकी कढाई के क्या कहने

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

कितना विश्वास आपस में
मिलकर अपने घरौंदे बनाते


कविता लघु लेकिन भाव वृहद्।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

कितना विश्वास आपस में
मिलकर अपने घरौंदे बनाते


कविता लघु लेकिन भाव वृहद्।

abhi ने कहा…

आपने तो बहुत अच्छी कविता लिख दी है...मैंने भी एक बार कोशिश करी थी, हिम्मत से यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ...:)

हम भी काश इन परिंदों की तरह,
आकाश में कहीं दूर चल चलें..
एक नया आसमान तलाशने..
एक नयी दुनिया बसाने..
जहाँ हर तरफ खुशी हो..
एक ऐसा जहाँ बनाये जहाँ,
नफरत की कोई जगह न हो..
और प्यार कभी कम न हो.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इन बेजुबान परिंदों पर तो वैसे ही वक़्त क़ि मार पड़ती है .... ये तो सब के साथ मिल कर रहना चाहते हाँ पर ... इंसान नहीं चाहता ...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर आप तक एक गीत की पंक्ति कहने को दिल चाह रहा है...

आये ना तुम सौ सौ दफा आये गए मौसम....:)

mridula pradhan ने कहा…

behad khoobsurat.

स्वाति ने कहा…

बहुत सुन्दर...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

काश इंसान सीख लेते परिंदों से ...
रचना सुन्दर है पर इसबार कलाकृति इतनी सुन्दर है कि क्या कहूँ ...

Dorothy ने कहा…

परिंदों के माध्यम से जीवन में नए अर्थों के आयाम जोड़ती एक खूबसूरत प्रस्तुति. आभार.
सादर
डोरोथी.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बेहतरीन!!

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy ने कहा…

बहुत उम्दा लिखते हैं आप! मैंने तो सोचा था कि आप एक बेहतरीन अफसाना-निगार हैं. लेकिन आपकी कविताएँ पढ़ कर लगा कि आप का कवि-ह्रदय भी उतना ही मर्मज्ञ है. इतनी अच्छी लेखनी को मेरा सलाम!
अश्विनी रॉय

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

अर्थपूर्ण और गहरा सन्देश लाजवाब प्रस्तुति

शमीम ने कहा…

भावपुर्ण कविता अच्छी लगी. दीपावली की शुभकामनायें.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Arvind Mishra ने कहा…

कलाकार की जीवंत बुलबुलें -वाह!

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι ने कहा…

यही तो फ़र्क है परिन्दे और आदमी में , सुन्दर अभिव्यक्ति। मुबारकबाद।

Dimple ने कहा…

बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!

Kitni badi baat keh di... chandd panktiyon mein... U r write with so much depth and sachh likhte ho aap jo mujhe itna pasand aata hai :)

wonderful... all my love!

Take care...

Regards,
Dimple