डालीपे नन्हीसी कली...!
सोंचा डालीने,ये कल होगी
अधखिली,परसों फूल बनेगी..!
जब इसपे शबनम गिरेगी,
किरण मे सुनहरी सुबह की
ये कितनी प्यारी लगेगी!
नज़र लगी चमन के माली की,
सुबह से पहले चुन ली गयी..
खोके कोमल कलीको अपनी
सूख गयी वो हरी डाली....
( भ्रूण हत्या को मद्देनज़र रखते हुए ये रचना लिखी थी ..)
31 टिप्पणियां:
ओह बेहद संवेदनशील.
जज्बातों को खूबसूरती से लिखा है
dukhad.......
मार्मिक अभिव्यक्ति।
मार्मिक प्रस्तुति
काश, उन बेहरहमों को भी ये समझ में आता...
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आप चलेंगे इस महाकुंभ में...?
...खींच लो जुबान उसकी।
बेहद मार्मिक .
ओह ..शब्दों में कितनी मार्मिकता है ..।
samvedansheel ....
बेहद संवेदनशील और मार्मिक्।
एक विकराल समस्या का मार्मिक वर्णन...
बाजजूद इतने प्रयासों के ये हत्या रुक ही नहीं रही। पता नहीं कब होगा इसका अंत। खासतौर पर लड़की का गर्भ में ही कत्ल कभी रुक सकेगा। आशा तो महिलाऔं से ही है..क्योकं मूढ़ पुरुष को भी समझ तब तक नहीं आएगी..जब तक उनके घर की सभी महिलाएं एकजुट होकर इसका विरोध करेंगी। कोई भी आंदोलन महिलाओं के समग्र सहयोग के पूरा नहीं होता।
मार्मिक प्रस्तुति................
मर्मस्पर्शी.... सार्थक...
सादर...
ओह! बहुत ही मार्मिक कविता
♥
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मार्मिक प्रभावशाली प्रस्तुति!
कलि के माध्यम से गहरी बात कह डी आपने ... २१ वीं सदी आ रही है और समाज वहीं का वहीं है ... दुर्भाग्यपूर्ण ...
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी कविता और उसके निहितार्थ सच में बहुत गहरी बात है ... एक बेटी के बाप होने के नाते ये कह सकता हूँ कि इससे बड़ा आनंद और कुछ भी नहीं है ...
संवेदनशील प्रस्तुति ...
बड़ी मार्मिक कविता..गहन भाव से पूर्ण सुंदर चित्रण
बहुत सुन्दर लगा! उम्दा प्रस्तुती!
दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति..
मार्मिक शब्द चित्र। सुंदर कलाकारी।
विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं.
dardpurn chitran....aisa kyu karte hain log...umda rachna......
Bahut achha likha hai...
Dard ko sahi sabdo mein bayaan karna - yehi toh kalaa hai aapki :)
How ru?? Long time - I was away from blogging... Now - back & will commenting on your blog...
Tcare
Dimple
shama ji
bahut hi dil ki gahrai se utre ye jajbaat, sach me aankh me aansu aa gaye.
jaane kab ye silsila khatm hoga???
bahut hi samvedan shil prastuti
poonam
wah bhut achha sandesh.
ab bhi ye paap badastoor jaree hai...dukhad !
बहुत ही खूबसूरत..मार्मिक!!
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