लाल आंखोंवाली बुलबुल पँछी के जोड़े की ये कढ़ाई है. इनकी तसवीर देखी तो इकहरे धागे से इन्हें काढने का मोह रोक नही पाई.
कैसे होते हैं ये परिंदे!
ना साथी के पंख छाँटते ,
ना उनकी उड़ान रोकते,
ना आसमाँ बँटते इनके,
कितना विश्वास आपसमे,
मिलके अपने घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
कैसे होते हैं ये परिंदे!
ना साथी के पंख छाँटते ,
ना उनकी उड़ान रोकते,
ना आसमाँ बँटते इनके,
कितना विश्वास आपसमे,
मिलके अपने घरौंदे बनाते,
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
35 टिप्पणियां:
मनुष्य को इनसे ही सीखना चाहिए कुछ .
हम धूर्त और वे मासूम .....
कृपया तुलना बराबर बालों से करे तब ठीक लगेगा !
परिंदों की याद दिलाने के लिए आभार !
बहुत सुंदर...मनुष्य इनसे बहुत कुछ सीख सकता है...
hum insaano se kahi behtar hain ye parinde.bahut sundar kadhaai bahut sundar rachna.
bahut sundar abhiyakti .... abhaar.
सबके साथ लंबी उड़ानें भरते हैं परिंदे।
जानवरों और परिंदों के साथ हम रहते तो हैं लेकिन सीखते नहीं.. शायद इसलिए कि हम खुद को उनसे बेहतर नस्ल का मानते हैं.. जबकि सचाई कुछ और है!! खूबसूरत मिसाल!!
पक्षियों का आचार-व्यवहार हमें बहुत कुछ सीख देते हैं और अथक परिश्रम करते हैं।
परिंदे बहुत कुछ सीखा जाते हैं, बशर्ते हम इंसान उनसे सीखना चाहें....
बेहतरीन रचना।
बहुत खूबसूरत सन्देश देती रचना ..
आपके काम को पहचान क्यों नहीं मिलनी चाहिये. धागों से कूचियों की ही मानिंद मोहक रचना संसार है आपका.
बहुत कुछ सिखाता है परिन्दों का व्यव्हार ...... अति सुंदर
वाह..! सुंदर रचना खूबसूरत सन्देश देती..!
बधाई ....!!
आइये कभी मचान पर
वाह, ये परिंदे ही तो हैं जिन्हें देखकर कवि कह उठता है नीड़ का निर्माण फिर फिर
वाह ...इन पंक्तियों में कितना प्रेरक संदेश दिया है आपने ... आभार ।
आज़ाद परिंदे!! :)
कितनी सच्छाई छुपी है न शब्दों में ... और एक इंसान है जो अपने से ही पूरा नहीं पता .. मैं मैं मेरा मेरा ही करता है बस ...
wah kya bat hai...
kash insaan pakshiyon se hi kuchh seekh le le.
insaano se to pakshi hi acchhe hain.
परिंदे इंसान नहीं होते, इतना ही अंतर है.
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
wah.....
क्यों हम इनसे नहीं सीखते।
इन जैसे क्यों नहीं दीखते।।
हम से अच्छे होते पक्षी।
फिर भी हम हैं इनके भक्षी।।
शिक्षाप्रद रचना एवं प्रेरणा दायक प्रस्तुति।
आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।
नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाएं ...
सुन्दर भावपूर्ण प्रेरक प्रस्तुति.
परिंदों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
लाज़वाब प्रस्तुति.....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
बिखर जाएँ गर तिनके,
दोष किसीपे नही मढ़ते,
फिर से घोसला बुन लेते,
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
बेहद पसंद आपकी रचना
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......
परिंदों को साक्षी बना कर
मानव-मन की
कई बातें कह दीं आपने ...
प्रभावशाली काव्य !
अभिवादन !!
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें. छलके सुख, समृद्धि का मंगलघट. आये जीवन में आपके हर्ष, उल्लास और खुशियाँ अपार.
सादर,
हिमकर
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
parinde hamse jyada sanzide hote hain aur irshya dwesh jara bhi nahin. sundra rachna, shubhkaamnaayen.
सुंदर कढ़ाई। सुंदर शब्दों की बुनाई।
..वाह!
बहुत संजीदा होते,ये परिंदे!
rote bhee hein to aansoon nahee bahaate ye parinde
very nice thoughts
awaysome creation ,bahut gahri baat kah dii aapne ,kai mayno mein hum insan pashu pakshiyon se bhi gire hue hai.
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