न हीर हूँ,न हूर हूँ , न नूर की कोई बूँद हूँ,
ना किसी चमन की दिलकश बहार हूँ...
खिज़ा में बिछड़ी एक डाल की पत्ती हूँ...
न धड़कने हैं,न उमंगें मेरे नसीब में,
उड़ा ले जाए सबा, पहाड़ के परे,रुकी हूँ,..
पैर के नीचे खड़क जाउँगी,जान चुकी हूँ..
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,
मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ..
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26 टिप्पणियां:
न हीर न हूर न नूर की बूँद हूँ ....बहुत ही गहरे भाव पूर्ण रचना ... आभार
यह रचना तो एकदम दिल को छु गयी है....
क्षमा जी! कविता दिल को स्पर्श करती है और बहुत ही सच्चे शब्दों में हृदय की अभिव्यक्ति करती है.. पर बुरा न मानें, यह उदासी आप पर शोभा नहीं देती!!
गहरे भाव भरी पर उदास सी नज़्म ...
एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
आज क्या हुआ आपको....ये इतनी उदासी भरी नज़्म.....
क्यों सिमटे हो कुछ लम्हों में
बाहर निकल आओ ना
क्यों उदास से यूँ बैठे हो
कुछ उजास में निकल जाओ ना
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,..
किसी का दिल कुछ पल आसानी से जे ले .... कुछ पल की खुशी भी किसी को मिल जाए तो बहुत है जीवन सफल हो जाता है .... लाजवाब लिखा है ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति,
यहाँ भी पधारें :-
अकेला कलम
Satya`s Blog
मंगलवार 31 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,
मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ..
wakai mamsparshi rachna hai .aur khoobsurat bhi .
आपकी श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है ये नज़्म.
गहरे जज्बात
अपनी उदासी में भी किसी के लिये दुआ । सुंदर भावपूर्ण नज्म ।
निराश मन से निकलती कमाल की दुआ..
..मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ..
..बहुत खूब.
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,
मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ.. Inn lieno ke baad kuch adhurapan sa lag rah hai.....??? JAINE KYO ???
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,
मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ..... अपने अस्तित्व की कीमत पर इतनी उत्कट परहित कामना!....प्रशंसा के लिए शब्दों की कमी महसूस कर रहा हूँ.
dard ko bahut sundar tarah se bayaan kia hai... very emotional and very nicely written...
shabdo ki khoobsurati -- brilliant!!
Regards,
Dimple
आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
उड़ा ले जाए सबा, पहाड़ के परे,रुकी हूँ,..
पैर के नीचे खड़क जाउँगी,जान चुकी हूँ..
चौंक जायेगी कोई बिरहन इस आवाज़ से,
कुछ देर उसकी मायूसी तो हटा दूँगी,
मिल जाएँ उसे प्रीतम ,मै बिछड़ चुकी हूँ..
अपना दुःख और ये परमार्थ की ख़ुशी....
एक ऊँचे दर्जे की रचना.
एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
न हीर हूँ,न हूर हूँ , न नूर की कोई बूँद हूँ,
ना किसी चमन की दिलकश बहार हूँ...
खिज़ा में बिछड़ी एक डाल की पत्ती हूँ...
क्षमाजी ,
बेहद सच्चा और असरदार तसव्वुर। सौ फीसदी सहमत हूं मैं भी ।
आपके सम्मान में ये शेर नज़र करता हूं..
न बनना हीर ,लैला ,तू कभी ना सोहणी ,शीरीं ,
अगर सच्चा है दिल तो इश्क़ की ताज़ा कहानी बन।।
पूरी ग़ज़ल इंसाअल्ला मेरे ब्लाग में खुशवक्त शाया करने की कोशिश करूंगा।
इस्स इस्स सोनी ,
क्या खूब मिर्चियां हैं....लाल लाल , (इससे आपको और आपके खूबसूरत ब्लाग को नज़र नहीं लगेगी।)
13 मेरा 7 के बाद ‘?’ मार्क और
फिर मिलेंगे पर ‘इस बारे में सोचा जायेगा ’’ कमेन्ट आकर्षक लगे।
आशाएं ऐसे ही जगायी जाती हैं।
अन्यथा न लें, बहुत प्यारा ब्लाग हैं आपका ..
bahut hi khubsurat rachna hai!
Sundar bhaavpuurn abhivyakti!
bahut khuubsurat rachna hai!
Sundar bhaavpuurn abhivyakti!
bahut badiya.....
A Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)
Banned Area News : Movie Review: 'We Are Family'
आपकी कुछ कुछ कविताओं में मुझे कुछ कुछ अपने आप की झलक नज़र आती दिखती है :)
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