यहाँ किसीने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरेमे हैं,
दरवाज़े हर सरायके
कबसे बंद हैं !!
राहें सूनी पडी हैं॥
पता नही चलता है
कब सूरज निकलता है,
कब रात गुज़रती है,
सुना है, सितारों भरी ,
होतीं हैं रातें भी
राहें सूनी पड़ीं..
चाँद भी घटता बढ़ता है,
शफ़्फ़ाक़ चाँदनी, रातों में,
कई आँगन निखारती है,
यहाँ दीपभी जला हो,
ऐसा महसूस होता नही....
दिलकी राहें सूनी पड़ीं...
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं....
25 टिप्पणियां:
एक दिया मन का जलाओ रहे उजियारी हो जाएँगी.
सुन्दर रचना.
यही प्रतीक्षा राह दिखायेगी।
सुंदर रचना।
मन के भीतर के कश्मकश का बेहतर चित्रण।
itna soona pan hai fir bhi kalam ko sathi banati kyu nahi.. kitne din bad apka likha padhne ko mila.
अनुरोध है कि आप अपनी रचनाओं का एक संग्रह प्रकाशित करें और उसमें आपकी हस्तकला और और उनसे जुडी कविताओं का फ्यूजन भी हो जो आपकी एक विरली सृजनात्मकता है ....कुछ दिनों से आपने फ्यूजन वाली प्रस्तुतियां बंद कर रखी हैं . क्यों ?
यह रचना भी अपने ख़ास शेड के कारण बहुत जोरदार बन पडी है ! बधाई !अगली फ्यूजन वाली प्रतीक्षित रहेगी !
दर्काउर इंतज़ार का मार्मिक चित्रण्।
बहुत ही बढि़या ।
अतिसुन्दर
आज 03 - 11 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
_____________________________
उदासी से भरी रचना .. मन को रोशन करो सूनापन हट जाएगा
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
खूबसूरत और दिल की छोटी बातों को बेहतरीन शब्दों में पिरोया है...
bas man ke hi chitr me rang bharti hui ye rachna bhi ...jaise kuchh dhumil pad gaye ho rang ..magar intizar aur vishvas ka rang dhumil nahi padna chahiye ...
रचना ...
उदास कर गयी . . .
bahut sundar rachna.
बहुत वक़्त बीत गया,
यहाँ किसी ने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरे में हैं...
बहुत खूबसूरत नज़्म है...
एक शेर याद आ रहा है मुलाहिज़ा फ़रमाएं-
आहट पे कान, दर पे नज़र, दिल में इश्तियाक
कुछ ऐसी बेखुदी है तेरे इंतज़ार में...
उदासी पूर्ण सुंदर रचना अच्छी पोस्ट ....
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...
bahut achcha likha hai.......
अच्छे शब्द, अच्छी बात,
रचना बहुत अच्छी लगी।
इस अद्भुत रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें...
नीरज
प्रतीक्षा की टीस लिए पंक्तियाँ .... गहन भाव
बहुत ख़ूबसूरत रचना! बेहद पसंद आया !
बेहतरीन नज्म ..
Hi..
Aapne apne profile main tag line di hai...'jaan jayenge dheerr dheere'.. Sach main yah maine abhi dekha ki aap to wohi Kshma ji hain jinke ek anya blog ka main prashansak hun..mujhe ye pata hi nahi chala ki aap kavitayen bhi likhti hain.. Aur aapka prabudh pathak varg jaane kabse aapki kavitaon ka sukhad ahsaas kar rahe the..main kyon na jaan paaya..? Khair, jab jo hona hota hai tab hi hota hai..
Vartman kavita main bhavon ka anutha sangam hai.. Har chhand ki antim pamkti chhand ke arthon ko aur bhari kar dete hain..Mishra ji ne ese fusion ka naam diya hai..to yah fusion nisandeh kavita ko pathneey gati pradan kar raha hai..
Sundar kavita..
Deepak. Shukla..
एक टिप्पणी भेजें