बुधवार, 2 नवंबर 2011

दिलकी राहें.......


बहोत वक़्त बीत गया,
यहाँ किसीने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरेमे हैं,
दरवाज़े हर सरायके
कबसे बंद हैं !!
राहें सूनी पडी हैं॥

पता नही चलता है
कब सूरज निकलता है,
कब रात गुज़रती है,
सुना है, सितारों भरी ,
होतीं हैं रातें भी
राहें सूनी पड़ीं..

चाँद भी घटता बढ़ता है,
शफ़्फ़ाक़ चाँदनी, रातों में,
कई आँगन निखारती है,
यहाँ दीपभी जला हो,
ऐसा महसूस होता नही....
दिलकी राहें सूनी पड़ीं...

उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं....

25 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

एक दिया मन का जलाओ रहे उजियारी हो जाएँगी.
सुन्दर रचना.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही प्रतीक्षा राह दिखायेगी।

Atul Shrivastava ने कहा…

सुंदर रचना।
मन के भीतर के कश्‍मकश का बेहतर चित्रण।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

itna soona pan hai fir bhi kalam ko sathi banati kyu nahi.. kitne din bad apka likha padhne ko mila.

Arvind Mishra ने कहा…

अनुरोध है कि आप अपनी रचनाओं का एक संग्रह प्रकाशित करें और उसमें आपकी हस्तकला और और उनसे जुडी कविताओं का फ्यूजन भी हो जो आपकी एक विरली सृजनात्मकता है ....कुछ दिनों से आपने फ्यूजन वाली प्रस्तुतियां बंद कर रखी हैं . क्यों ?
यह रचना भी अपने ख़ास शेड के कारण बहुत जोरदार बन पडी है ! बधाई !अगली फ्यूजन वाली प्रतीक्षित रहेगी !

vandana gupta ने कहा…

दर्काउर इंतज़ार का मार्मिक चित्रण्।

सदा ने कहा…

बहुत ही बढि़या ।

Arun sathi ने कहा…

अतिसुन्दर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज 03 - 11 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

उदासी से भरी रचना .. मन को रोशन करो सूनापन हट जाएगा

Human ने कहा…

भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

संजय भास्‍कर ने कहा…

खूबसूरत और दिल की छोटी बातों को बेहतरीन शब्दों में पिरोया है...

शारदा अरोरा ने कहा…

bas man ke hi chitr me rang bharti hui ye rachna bhi ...jaise kuchh dhumil pad gaye ho rang ..magar intizar aur vishvas ka rang dhumil nahi padna chahiye ...

daanish ने कहा…

रचना ...
उदास कर गयी . . .

ZEAL ने कहा…

bahut sundar rachna.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बहुत वक़्त बीत गया,
यहाँ किसी ने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरे में हैं...
बहुत खूबसूरत नज़्म है...
एक शेर याद आ रहा है मुलाहिज़ा फ़रमाएं-
आहट पे कान, दर पे नज़र, दिल में इश्तियाक
कुछ ऐसी बेखुदी है तेरे इंतज़ार में...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

उदासी पूर्ण सुंदर रचना अच्छी पोस्ट ....
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...

mridula pradhan ने कहा…

bahut achcha likha hai.......

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अच्छे शब्द, अच्छी बात,

मनोज कुमार ने कहा…

रचना बहुत अच्छी लगी।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

इस अद्भुत रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें...

नीरज

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्रतीक्षा की टीस लिए पंक्तियाँ .... गहन भाव

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत रचना! बेहद पसंद आया !

Amrita Tanmay ने कहा…

बेहतरीन नज्म ..

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

Aapne apne profile main tag line di hai...'jaan jayenge dheerr dheere'.. Sach main yah maine abhi dekha ki aap to wohi Kshma ji hain jinke ek anya blog ka main prashansak hun..mujhe ye pata hi nahi chala ki aap kavitayen bhi likhti hain.. Aur aapka prabudh pathak varg jaane kabse aapki kavitaon ka sukhad ahsaas kar rahe the..main kyon na jaan paaya..? Khair, jab jo hona hota hai tab hi hota hai..

Vartman kavita main bhavon ka anutha sangam hai.. Har chhand ki antim pamkti chhand ke arthon ko aur bhari kar dete hain..Mishra ji ne ese fusion ka naam diya hai..to yah fusion nisandeh kavita ko pathneey gati pradan kar raha hai..

Sundar kavita..

Deepak. Shukla..