शनिवार, 18 अगस्त 2012

ओ मेरे रहनुमा !

ओ मेरे रहनुमा !
इतना मुझे बता दे,
वो राह कौनसी है,
जो गुज़रे  तेरे दरसे!

हो कंकड़ कीचड या कांटे,
के चारसूं घने अँधेरे,
बस इक बूँद रौशनी मिले
जो तेरे दीदार मुझे करा दे!

न मिले रौशनी मुझसे
किसीको,ग़म नहीं है,
मुझसे अँधेरा न बढे,
इतनी मुझे दुआ दे!

ओ मेरे रहनुमा!
बस इतनी मुझे दुआ दे!

आजकल ऐसे लगता है जैसे मै  किसी गहरी खाई में जा गिरी  हूँ।...मेरा आक्रोश कोई सुनता नहीं....दम घुट रहा है.....आनेवाली साँसों की चाहत नहीं.....जीने का कोई मकसद नहीं....क्यों जिंदा हूँ,पता नहीं.......



21 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

ऐसा दौर जीवन में सभी के जीवन में आता है...निकाल फेंकिये नकारात्मकता को....आक्रोश भी.....कुछ ऐसा मनपसंद कर डालिए जिसका बरसों से अरमान हो.....बिलकुल बेपरवाह होकर....और अपने लिए जिंदा रहें....
:-)

सस्नेह
अनु

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अँधेरे से ही रोशनी की किरण निकलती है.. अपना ख्याल रखें!!

Arvind Mishra ने कहा…

किसी का कोई वश नहीं है किसी पर और अपनी स्थितियों परिस्थितियों पर -निकल पढिये पर्यटन पर या फिर उस नियंता पर छोड़ दीजिये सब... टेक केयर !

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुबह शाम टहलना प्रारंभ कर दें। टहलने से आत्मविश्वास बढ़ता है। खुशी मिलती है।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

मुझसे अँधेरा न बढे,
इतनी मुझे दुआ दे!
..आमीन।

शारदा अरोरा ने कहा…

apne vakt ko jitna behtar tarike se gujar sakti hon ...gujariye...bas jiske pas lekhni ho saheli si use gam kyon kar ho....

वाणी गीत ने कहा…

जीवन में ऐसा दौर आता रहता है , शांति से गुजर जाने दे इसे , फिर से वही खुशियाँ होंगी !

Human ने कहा…

b positive.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

जब मेरे जीवन में सब ठीक-ठाक चल रहा होता है तो मुझे कसमसाहट होने लगती है क्‍योंकि‍ मुझे पता है कि‍ इसके बाद बुरे दि‍न ज़रूर आऐंगे /:-) अलबत्‍ता, जब सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा होता तो मुझे तसल्‍ली रहती है कि‍ -'अच्‍छा समय इसके बाद आने ही वाला है' :)


इतना अवसाद ठीक नहीं. जीवन जैसा भी है और जि‍तना भी है वैसे ही लेते चलना चाहि‍ए. आप बड़ी हैं, आपको ये सब कहते अचछा नहीं लगता.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सकारात्मक सोचिये..
भगवान जीवन में खुशिया दे...
शुभकामनाये...
:-)

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

कांटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

राह मिलेगी, राह ढूढ़कर..

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

न मिले रौशनी मुझसे
किसीको,ग़म नहीं है,
मुझसे अँधेरा न बढे,
इतनी मुझे दुआ दे!

यही सोच आशा बन कर सुखद अनुभूति देगी ...

Creative Manch ने कहा…

कभीकभी मन ऐसी दुविधा में आता है..लेकिन उस से निकलने का रास्ता भी आप को खुद ही ढूँढना है ..हारना नहीं है बस..चलते रहिये .

Kunwar Kusumesh ने कहा…

भगवान् पर भरोसा रखिये सब बढ़िया होगा.
साईं बाबा कहते हैं-श्रद्धा और सबूरी .

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

किसी शायर ने कहा है -
ऐ शमा तेरी उम्र तरीबी है रात भर
रोकर गुजार या इसे हंसकर गुजार दे
मेरा खयाल है आप इसे हंसकर गुजारें |ईश्वर आपको नई उर्जा दे |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ऐसे पल जीवन में आते रहते हैं पर निराशा की बजाये आशा का दामन थामना चाहिए ... ऊपर वाले का हाथ थामना चाहिए ... वो सब को राह पे ले आता है ... ये समय भी गुज़र जाता है ...

devendra gautam ने कहा…

इसी स्थिति से बहुत लोग गुजर रहे हैं. उनमें मैं भी शामिल हूँ. लेकिन यही जीवन है. सुल्तान अख्तर का एक शेर है-

"जिन्दगी भर हम इसी उम्मीद पर चलते रहे
अबके सहरा पार कर लें फिर समंदर आएगा."

......और समंदर पता नहीं कहां गुम रहता है. यही कसक रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत होती है. बढ़िया नज़्म है.

मनोज कुमार ने कहा…

मुझसे अँधेरा न बढे,
इतनी मुझे दुआ दे!
ये एक दौर होता है और इससे निकलना ही होता है।

Rishi ने कहा…

thodi vichlit karti panktiyan...par abhivyakti ka har mood me hona zaruri hai..
main aur apke hazaro shubhchintak keh rhe hain...khayal rakhein aur hume sundar sundar kavitayein dete rahein...:)