सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

Aahat

दूर  से  इक आहट आती रही,
ज़िंदगी का  सामाँ   बनाती रही,
चुनर हवा में उडती रही,
किसीने आना था नही,
हवा फिर भी गुनगुनाती रही..
दूर से इक आहट आती रही..

शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

soonee galee kaa mod....

रुको ,मै  अभी  आया ,
कह के जानेवाला,
कभी नही लौटा,
ना कहता तो सब्र होता,
सूनी गली के मोडको,
या द्वार के चौखट को,
परछाई या आहट को,
बैठे, बैठे,मन ना तकता..

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

hansee kee namee...ek kshanika

वो धीरे से हँस दिए,
लगा, आह निकली सीने से...
आँखें भरी,भरी-सी थी,
होटों पे हँसी की नमी थी..

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

मुकम्मल जहाँ ...ek kshanika...

मैंने कब मुकम्मल जहाँ माँगा?
जानती हूँ नही मिलता!
मेरी जुस्तजू ना मुमकिन नहीं !
अरे पैर रखनेको ज़मीं चाही
पूरी दुनिया तो नही मांगी?

रविवार, 4 अक्तूबर 2009

2 kshanikayen

१)संगदिल सनम

पहले   तो  सनम  ने हमें  आँसू  बना आँखों   में  बसाया  ,
बेदर्द , संगदिल  निकला ,  आँसू  को  संगपे  गिरा  दिया !


२ ) निशाने ज़ख्म

रहने दो ये ज़ख्मों  निशाँ,
क्यों चाहो इन्हें मिटाना ?
ये सौगाते तुम्हारी हैं,
सिमटी -सी यादें तुम्हारी हैं,
सब तो छीन लिया,
छोडो, जो  दिल में हमारी हैं !

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

waqt

 वक़्त

हम  ना  भी  गँवाते ,
लम्हों ने गुज़रना था,
मुट्ठी में क़ैद करते,
वक़्त ने फिसलना था,
अपने पैरों को जमाते,
ज़मीं ने खिसकना था!