दिन से दिन जुडा तो हफ्ता,
और फिर कभी एक माह बना,
माह जोड़,जोड़ साल बना..
समय ऐसेही बरसों बीता,
तब जाके उसे जीवन नाम दिया..
जब हमने पीछे मुडके देखा,
कुछ ना रहा,कुछ ना दिखा..
किसे पुकारें ,कौन है अपना,
बस एक सूना-सा रास्ता दिखा...
मुझको किसने कब था थामा,
छोड़ के उसे तो अरसा बीता..
इन राहों से जो गुज़रा,
वो राही कब वापस लौटा?
3 टिप्पणियां:
अहसासों का सफ़र लम्हा-लम्हा यूँ ही जिंदगी के नाम जिंदगी ने किया .....
भाव मय करते शब्द
जीवन ऐसे ही बीत जाता है ... यादें ही हैं जो आगे पीछे लौटती हैं ... समय नहीं ...
मन कि भावनाओं को सुन्दर शब्दों से सजाया है
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