शनिवार, 4 अगस्त 2012

वो वक़्त भी कैसा था.....


17 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर क्षमा जी...
आपके हाथों में जादू है..

सादर
अनु

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

बहुत ही सुन्दर!! इसके आगे कुछ भी नहीं!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बेहद ही खूबसूरत रचना।

मनोज कुमार ने कहा…

लाजवाब!
मन करता है इस तस्वीर को उतारकर ड्रॉइंग रूम की दीवार पर लगा दूं।
कविता दिल को छूती है।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

वो वक़्त भी कैसा था,
सुबह का सुनहरा आसमाँ,
हमेशा अपना लगता था!


बहुत सुंदर.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुन्दर कोमल भाव लिए रचना..
और बहुत सुन्दर चित्र...
:-)

Arvind Mishra ने कहा…

यादों का इक बेहतरीन कोलाज

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आपके द्वारा काढ़े गये भित्ति चित्रों और गढ़े गये शब्द चित्रों में अक्सर सुंदर कौन? की होड़ देखता हूँ।
...दोनो ही बहुत सुंदर।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाव ... लाजवाब शब्द और खूबसूरत भित्ति-चित्र ... यादों के किसी कोने में हलचल मचाने के लिए काफी हैं ...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

आप में बहुत गुण हैं.अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रक्खें प्लीज़.

Kailash Sharma ने कहा…

आज भी सुबह आसमाँ सुनहरा,
कुछ,कुछ रंगीन होता होगा,
जिसे अकेले देखा नही जाता....

...लाज़वाब और सिर्फ़ लाज़वाब....

शिवनाथ कुमार ने कहा…

किसी का साथ हमेशा अच्छा लगता है और हर चीज अच्छी लगती है ..
सुंदर भाव !

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

कविता और कलाकृति दोनों सुन्दर, बधाई.

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

aaj to naya hi rang hai aapki rachna me. bahut umdra rachna likhi hai.
sunder chitr.

dairi k liye maafi chaahti hun.

Asha Joglekar ने कहा…

शाम का सुरमई गुलाबी साया,
लगता है कितना सूना,सूना!
रातें गुज़रती हैं,तनहा,तनहा...



सुंदर चित्र और उससे सुंदर कविता ।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही उम्दा भावपूर्ण कविता |

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

खूबसूरत भित्ति चित्र।