Mujhe pataa tha aapne kuch bahut badiya likha hoga issliye itne din baad jab blog check karne ka maukaa mila toh maine sabse pehle aapke blog ko check kia...
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....देर से आने की माफ़ी चाहता हूँ.....आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा.....कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह गयीं हैं आप....सुभानाल्लाह......आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे.....
in aansuon ko thamne kabhi dena bhi nahi... ye to wo moti hai jo jag ko muskurayenge... andar rah gaye to zahar ban jayenge... baahar aane to samandar ban jayenge....
क़ीमत हर हँसी की अश्क़ों से चुकायी, पता नही और कितना कर्ज़ रहा है बाक़ी, आँसूं हैं, कि, थमते नही! .. .. मेरी क्षमता नही कि मैं...आपकी इस रचना पर टिप्पड़ी करूं ये मैं जमीन पर सर रखकर आपकी इन भावनाओं को शब्दों को और आपको नमन करता हूँ...बस यही कर सकता था मैं.
जब भी आपके ब्लॉग पे आता हूँ हर बार इन पंक्तियों पे आके ठहर जाता हूँ इससे आगे ऐसा लगता है जैसे कहने के लिए कुछ बचा ही ना हो ..हमेशा सोचता था की इनकी तरीफ्फ़ में क्या लिखूं लेकिन कभी शब्द ही नहीं मिले . आज भी नहीं ,बस इतना कहूँगा की ..गागर में सागर समाया है
36 टिप्पणियां:
उफ़ ..कितना क़र्ज़ है ...मार्मिक प्रस्तुति
karuna se susajjit....bahut sundar.
Bahut khoob ... kamaal ki panktiyaan hain ...
:)
आँखें भर आयीं ....बहुत गहरा भाव भरा है इन पंक्तियों में ...आपका आभार
अच्छा है!
वाह. सुंदर.
हंसी के आंसू या खुशी के आंसू.
ओह -इन्हें वे स्नेहिल पंखुड़ियां चाहिए जहाँ ये मोती मन कर आलोकित हो सकें !
chand lafzo me gahree baat........
कुछ कर्ज़ ज़िन्दगी भर चुकता नही होते………बेहद दर्दभरी प्रस्तुति।
.
This is called life !
Beautiful lines.
.
मार्मिक प्रस्तुति.
नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
इतना क़र्ज़ ??? मार्मिक प्रस्तुति.
apki ye chand lines padh kar vo geet yaad aa gaya...
jeene ke liye socha hi nahi...
dard sawaarne honge...
muskuraye gar to
muskurane ke karz utarne honge...
AAnsu ho jaate hain dil ki zuban,
bahte rahte wo dariya samaan,
jeevan ki saari aapa dhaapi me,
aansu hi bah kar mitati hamari thakan.
चार लाइनें, लेकिन काफी हैं..
क्यू छलक रहा दुःख मेरा , उषा की मृदु पलकों में
हा उलझ रहा सुख मेरा , निशा की घन अलकों में .
भावमय करते शब्द ।
ख़ुशी हो या हो गम, छलक ही जाते हैं जाम
रोकने से रूकते नहीं, कर जाते हैं अपना काम
मार्मिक प्रस्तुति. बधाई
Mujhe pataa tha aapne kuch bahut badiya likha hoga issliye itne din baad jab blog check karne ka maukaa mila toh maine sabse pehle aapke blog ko check kia...
Very touchy n painful...
Regards,
Dimple
khubsurat bhav
अरे वाह......
भावपूर्ण प्रस्तुति |
आदरणीया क्षमा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत भाव पूर्ण !
एक मतला आपके लिए …
हंसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है
कोई हमदर्द नहीं , दर्द मेरा साया है
गणगौर और नवरात्रि की शुभकामनाएं !
साथ ही…
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
चैत्र शुक्ल शुभ प्रतिपदा, लाए शुभ संदेश !
संवत् मंगलमय ! रहे नित नव सुख उन्मेष !!
*नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !*
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कहते हैं कि कर्ज चुकाया नहीं जा सकता
सेहत साथ नहीं दे रही इन दिनों.. इसलिए मुआफी चाहता हूँ..
इन चार लाइनों में आपने जीवन दर्शन समेट दिया है!!
क्षमा जी,
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....देर से आने की माफ़ी चाहता हूँ.....आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा.....कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह गयीं हैं आप....सुभानाल्लाह......आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे.....
अभी तो ये भी समझ में नहीं आरहा कि ये आसू कर्ज पटा रहे है या अभी केवल व्याज ही जमा हो रहा है
in aansuon ko thamne kabhi dena bhi nahi...
ye to wo moti hai jo jag ko muskurayenge...
andar rah gaye to zahar ban jayenge...
baahar aane to samandar ban jayenge....
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बहुत मार्मिक..अंतस को झकझोर दिया..
क़ीमत हर हँसी की
अश्क़ों से चुकायी,
पता नही और कितना
कर्ज़ रहा है बाक़ी,
आँसूं हैं, कि, थमते नही!
..
..
मेरी क्षमता नही कि मैं...आपकी इस रचना पर टिप्पड़ी करूं ये मैं जमीन पर सर रखकर आपकी इन भावनाओं को शब्दों को और आपको नमन करता हूँ...बस यही कर सकता था मैं.
क़र्ज़ कैसा भी हो अंततः आँसू ही तो देता है| बहुत सुन्दर प्यारी-सी कविता |
जब भी आपके ब्लॉग पे आता हूँ हर बार इन पंक्तियों पे आके ठहर जाता हूँ इससे आगे ऐसा लगता है जैसे कहने के लिए कुछ बचा ही ना हो ..हमेशा सोचता था की इनकी तरीफ्फ़ में क्या लिखूं लेकिन कभी शब्द ही नहीं मिले .
आज भी नहीं ,बस इतना कहूँगा की ..गागर में सागर समाया है
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