परेशाँ हैं, चश्मे नम मेरे,
कि इन्हें, लमहा, लमहा,
रुला रहा है कोई.....
चाहूँ थमना चलते, चलते,
क़दम बढ्तेही जा रहें हैं,
सदाएँ दे रहा है कोई.....
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
कि इन्हें, लमहा, लमहा,
रुला रहा है कोई.....
चाहूँ थमना चलते, चलते,
क़दम बढ्तेही जा रहें हैं,
सदाएँ दे रहा है कोई.....
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
34 टिप्पणियां:
bahut umda ..vaah.
अद्भुत..स्पष्ट..सटीक..
बहुत सुन्दर..
कोमल सी प्रस्तुति..
सादर.
छोटे-छोटे छंदों से सजी यह कविता मन को स्पर्श करती है!!
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
Vah gahari anubhutiyon ko sametati hui rachana hai....sadar abhar ke sath hi badhai.
☺
यह तो मोहब्बत के मरीज होने के आसार है
लगता है बहुत देर से कोई बीमार है।
बहुत बढिया।
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई...
बहुत खूब ... ये तो साजिश है चाँद की ... किसी को शीतल करता है किसी को जलाता है ...
बेहद खूबसूरत्।
खूबसूरत शब्द ...बहुत सुन्दर.
आपकी कवितायेँ पढ़ कर लगता है कि पढ़ते ही रहें शानदार प्रस्तुती..
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन मन को छूती रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
NEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
वाह ..रूमानियत का एक यह भी सबब !
pahli baar aapke blog pr aana hua...aur itna sundar padne ko mila...plz mere blog pr jaroor aayega..utsuk rahungi...
बहुत सुन्दर..
अद्भुत अभिव्यक्ति , बेहतरीन शाब्दिक चयन
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई!
छू गयी ये पंक्तियाँ! सधन्यवाद.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
सुमन सिन्हा जी का परिचय देखें यहां ...
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति..
Adarneey Kshama ji..
Jeevan ka har dard rulata..
Aankhon main aansu vo laata..
Vyakti kahin bhi jaaye chahe..
Dard, Chand sa sath hau aata..
Jab tak man main dard ho koi...
Aankhen nam hon dikhti royi...
Dard kabhi jo kaha na jaaye..
Antarman ko roz jalaaye...
Dard baantkar halka hota...
Peeda jo kah daaloge..
Nirmal hruday tumhara hoga..
Shanti swatah hi paa loge!!!...
Aap to kam shabdon main badi baatain kahne ki aadi hain...aapki kavita ka pratyuttar likh sakun..etna na anubhav hai, na samarthya...fir bhi apni chirparichit tukbandi shaili main maine kuchh shabd yahan likhe hain..asha hai wo shayad aapko theek lagen...
Sadar...
Deepak..
bhawbhini hai.....
hamesha ki tarah...choti magar gehri...behti hui...bhut sundar...!!
हृदयस्पर्शी रचना।
चांदनी से जल जाना...
कितने खूबसूरत भाव हैं।
चांदनी से जल जाना...
कितने खूबसूरत भाव हैं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
bahut khoobsurat...
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
बहुत सुंदर प्रस्तुति...जानकारी देने के लिए आभार!
उम्दा प्रस्तुति!!
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई....
गजब की अभिव्यक्ति ...
सुन्दर अभिव्यक्ति.....
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
bahut sunder ..kam se kam sabdo me hi apne poora kavya udel diya
परेशाँ हैं, चश्मे नम मेरे,
कि इन्हें, लमहा, लमहा,
रुला रहा है कोई.....
Great expression Kshama ji...
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