कभी,कभी
ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं,जहाँ केवल सवाल ही सवाल होते हैं! हर तरफ
चौराहे...जिन्हें अपना माना,जान से ज्यादा प्यार किया...पता चलता है,वो तो
परायों से बद्दतर निकले! किस पे विश्वास करें? आखिर ज़िंदगी का मकसद क्या
है....बस चलते रहना?महीनों गुज़र जाते हैं,हँसी का मुखौटा ओढ़े और अन्दर ही
अन्दर गम पिए! इम्तिहान की घड़ियाँ बिताये नहीं बीततीं! शायद ऐसे किसी दौर
से गुज़रते हुए ये रचना लिख दी है!
ना खुदाने सतायाना मौतने रुलाया
रुलाया तो ज़िन्दगीने
मारा भी उसीने
ना शिकवा खुदासे
ना गिला मौतसे
थोडासा रहम माँगा
तो वो जिन्दगीसे
वही ज़िद करती है,
जीनेपे अमादाभी
वही करती है...
मौत तो राहत है,
वो पलके चूमके
गहरी नींद सुलाती है
ये तो ज़िंदगी है,
जो नींदे चुराती है
पर शिकायतसे भी
डरती हूँ उसकी,
गर कहीँ सुनले,
पलटके एक ऐसा
तमाचा जड़ दे
ना जीनेके काबिल रखे
ना मरनेकी इजाज़त दे....
22 टिप्पणियां:
काश आपकी रचनाओं का दर्द बनावटी होता/ओधा हुआ होता.. लेकिन अफ़सोस इसी बात से होता है कि हम बनावटी कहानियां/कवितायें लिखते हैं और भोगी हुई.. बस परमात्मा से प्रार्थना है कि आपको इनसे मुक्ति दे!! आमीन!
ये एक बहुत ही संवेदिनशील रचना है . और आपके मन के भाव बखूबी इसमें आये हुए है . जेवण कुछ ऐसा ही है . आपको साधुवाद इस रचना के लिये .
धन्यवाद.
विजय
गहरा, थाह पाना कठिन है..
Very nice post.....
Aabhar!
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...रचना के भाव अंतस को गहराई तक छू गये...उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
apne upar itna dam rakh le ki jindgi tujhse poochhe ki teri rajaa kya hai?
itna nirash hona acchha nahi lagta.
सच पूछो तो जीवन के ये खट्टे मीठे पल ही रुलाते हैं ... खुदा या मौत तो एहसास होता है जो अक्सर सकून देता है ...
गहन भाव लिए .. हर शब्द मन को छूता हुआ ..आभार
बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
आपके ब्लॉग पर लगे चित्र बहुत सुन्दर है ..ये सब क्या आपने बनाये है ? इस आर्ट को क्या कहते है ? इसे कैसे सिखा जा सकता है ?
बेहद संवेदनशील रचना. व्यथा को अभिव्यक्त करना कई बार बहुत कठिन होता है, परन्तु आपने बहुत सहजता से लिख दिया है, शुभकामनाएँ.
उफ़ ये अच्छे लोगों के लिए ही यह इतनी बेरहम दुनिया क्यों है ?
ना जीनेके काबिल रखे
ना मरनेकी इजाज़त दे...बेहतरीन अभिव्यक्ति....
मौत तो राहत है,
वो पलके चूमके
गहरी नींद सुलाती है
ये तो ज़िंदगी है,
जो नींदे चुराती है
बहुत सही और शाश्वत पंक्तियां...
पर ग़ालिब ने दर्द भोगकर ही लिखा था...
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना।
और अंत में
काश कोई किसी से नींद शेअर कर पाता...
ज़िन्दगी में ऐसे वक़्त आते हैं, जब हम विपरीत धारा के थपेड़ों को सहते-सहते धैर्य खोने लगते हैं। यही वो पल होता है जब हमें एक छोटी सी आशा की किरण देती दीए को बुझने से बचाए रखना होता है।
कविता बहुत अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद ।
hamesha ki tarah samvedansheel...
दिल को छूती कोमल भावाभिव्यक्ति।
आपका बहुत-बहुत आभार
जिंदगी सुन ले तो तमाचा जड दे जो न जीने के काबिल छोडे और न ....................।
bahut sateek....
Bahut dino se same thought mujhe pareshan kar raha hai .. Life no matter how pointless death brings end to it. All the misery and pain disappears instantly. But again I feel afraid of praying for it.
Beautiful Poem
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