गुरुवार, 5 सितंबर 2013

वो वक़्त भी कैसा था


9 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जितना सुन्दर चित्र बुना, उतनी ही सुन्दर कविता भी बुनी।

Saras ने कहा…

यादें...जीवन का एक अहम् हिस्सा .....इतना ....कि उनके बगैर ...जीना भूल जायें ....वाकई ...!!!!

Arvind Mishra ने कहा…

वियोग की रेशमी सिहरन

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अच्‍छी रचना।

Darshan jangra ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

कृपया आप यहाँ भी पधारें और अपने विचार रखे धर्म गुरुओं का अधर्म की ओर कदम ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः13

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

यादों के झरोखे से ...रेशमी एहसास

Kailash Sharma ने कहा…

आज भी सुबह आसमाँ सुनहरा,
कुछ,कुछ रंगीन होता होगा,
जिसे अकेले देखा नही जाता....

...वाह! बहुत भावपूर्ण रचना...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

वक्त की कद्र शायद गुजर जाने के बाद ही होती है।

mridula pradhan ने कहा…

chitr aur kavita donon hi lajabab.....