अए अजनबी !जब हम मिले,
तुम जाने पहचाने -से थे,
बरसों हमने साथ गुज़ारे,
क्यों बन गए पराये?
क्या हुआ, किस बातपे,
हम तुम नाराज़ हुए?
आओ एक बार फिर मिलें,
अजनबियत दिल में लिए...
एक फ़िल्मी गाना भी है पुराना "अजनवी तुम जाने पहिचाने से लगते हो |और आपकी अंतिम लाइन के सम्बन्ध में भी एक फ़िल्मी गाना है "चलो इक बार फिर से अजनवी बन जाएँ हम दोनों |क्या हुआ किस बात पे हम तुम हुए पराये | किस बात पर हमसे तुम नाराज हुए ? यह प्रश्न बाचक भी हो सकता था अगर "हम तुम नाराज हुए " में थोड़ा फेर बदल होता |क्योंकि हमें तो पता होना चाहिए कि हम क्यों नाराज है वाकी आप क्यों नाराज और किस बात पर हुए | कुल मिला कर रचना अच्छी लगी |
10 टिप्पणियां:
sundar...
एक फ़िल्मी गाना भी है पुराना "अजनवी तुम जाने पहिचाने से लगते हो |और आपकी अंतिम लाइन के सम्बन्ध में भी एक फ़िल्मी गाना है "चलो इक बार फिर से अजनवी बन जाएँ हम दोनों |क्या हुआ किस बात पे हम तुम हुए पराये | किस बात पर हमसे तुम नाराज हुए ? यह प्रश्न बाचक भी हो सकता था अगर "हम तुम नाराज हुए " में थोड़ा फेर बदल होता |क्योंकि हमें तो पता होना चाहिए कि हम क्यों नाराज है वाकी आप क्यों नाराज और किस बात पर हुए | कुल मिला कर रचना अच्छी लगी |
sarthak rachana..........
sambandho ko sahejane ka prayas.............
रचना अच्छी लगी , हर दिल पी लेता है वही कुछ ..जो सालता है ...आपने मेरे ब्लॉग पर आ कर सराहना की ,दिल ने तस्सली का घूँट पिया |
वो दूर था, तो बहुत दिल के पास रहता था
क़रीब आ के मिला है, तो फ़ासला है बहुत ...
अजनबियत का रिश्ता भी एहमियत रखता है
अपनापन इसी से शुरू होता है
रचना अच्छी है,,,,,
दिल से दिल तक वाली बात !!
these lines touched my heart -"aao ek baar phir milein, ajnabiyan dil mein liey"
Par kash ke aisa ho pata
jinhe hum kho dete hain
yuhi baton baton mein
unhe bhi wohi dard satata
jise liye na hum jee pate hain
na mar pate.
regards
Noyanika
Apne dil se likha hai! par kash ke aisa hota ki jinhe hum kho dete hain, wo bhi hamen yaad karte.
regards
noyanika
भावों से .....पूर्ण आपकी ये रचना .........बहुत बढ़िया .
क्या हुआ, किस बातपे,
हम तुम नाराज़ हुए?
आओ एक बार फिर मिलें,
क्या हुआ, किस बातपे,
हम तुम नाराज़ हुए?
आओ एक बार फिर मिलें,
bahut sundar...
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