सर्दियों का मौसम था. हम लोग एक और मित्र परिवार के साथ भरतपूर Bird sanctuary देखने गए थे.
एक शाम, मै अकेली गेस्ट हॉउस के बरामदेमे बैठी हुई थी. उस अतीव नीरवता में पंछिओं का कलरव बहुत प्यारा लग रहा था. अचानक,मेरा ध्यान पास ही के एक जलाशय पे गया. Heron जातिका बगुला एक पैर पे स्तब्ध खड़ा अपना शिकार ढूँढ रहा था. आस पास तो बहुत परिंदे थे,लेकिन ये जलाशय दूर दूर तक सूना पड़ा हुआ था.
आसमान में अब शाम के रंग ख़त्म हो चुके थे.निशाने चुपके चुपके अपने आगमन का पैगाम पहुँचा दिया था!
मैंने अपना सिलाई कढाई का डिब्बा खोला और उस वक़्त के आसमान और जलाशय बनानेके लिए ज़रूरी कपडे के तुकडे,धागे,रंग आदि का जुगाड़ करने लगी.
एक सफ़ेद सिल्क के टुकड़े को ग्रे जलरंग से रंग लिया. उसके बीचो बीच हल्का नीला/ग्रे रंग का raw सिल्क का टुकडा सिल दिया. वहाँ पे सीधे तिरछे टाँकों से घाँस फूँस बना ली. कढाई से पेड़ और परिंदा बन गए. नीचे जो घाँस की पातें दिख रही हैं,उन्हें बनाया है,स्टार्च किये हुए शिफोन के तुकडे में से! उस तुकडे में से पत्तियों के आकार काट लिए और सिल दिए! गोल फ्रेम तो घर लौटने पे बना.
इस चित्र को जब कभी देखती हूँ,तो नितांत सूना पन मन में भर आता है.... लगता है,दूर दूर तक कहीँ इंसानी बस्ती नहीं! बस इसी ख़याल में से उभरी ये रचना!
ओ! सुन, आसमान वाले, मेरा कहना!
मुझे इतनी अकेली कभी न करना!
शाम ढले,कोई तो साथ हो मेरा अपना,
मुझ पे तनहाई का यूं सितम मत ढाना,
दूर हों दुनिया में वो प्रियतम चाहे जहाँ,
यादों के साथ,उन्हें भी पास ले आना!
28 टिप्पणियां:
क्षमा जी नमस्ते |खूबसूरत कविता और कल्पना की उड़ान बधाई होली की इन्द्रधनुषी शुभकामनाओं के साथ
क्षमा जी नमस्ते |खूबसूरत कविता और कल्पना की उड़ान बधाई होली की इन्द्रधनुषी शुभकामनाओं के साथ
आपकी कारीगरी कमाल कि है ..और ऊपर से ये पंक्तियाँ ..बहुत खूब
are bhai kalakaro ke liye tanhaee bhee blessing hee hai naye naye ideas bhee to milte hai........
sochatee hoo bhagvan ne bahut samay lekar tumhe banaya hoga.........
all in one jo ho.....
क्या हुनर है आपमें माशाल्लाह.
क्षमा जी नमस्ते |
खूबसूरत कविता ,
होली की शुभकामनाओं के साथ
awesome...
samay ka kitna achcha sadupyog kiya aapne ,man khush ho gaya.
wow...wow bahut khoob likha apne!!
Jai Ho Mangalmay Ho
आपकी पुकार, फ़रियाद, प्रार्थना में मैं भी शरीक हूँ.. आमीन कहने के लिए!!
bahut sunder kadhayi hai lekin rang apni tanhayi jaise hi bhare hain.
ham hain to kya gam hai ji???????
क्षमा जी,वैसे तन्हाई से बड़ा कोई दोस्त नहीं.,क्योंकि जब कोई साथ नहीं होता तब तन्हाई साथ देती है.
फिर आपके पास तो कढ़ाई वाला हुनर भी है आपको तो कभी अकेलापन लग ही नहीं सकता.
बहुत सुन्दर कलाकृति और उस से सम्बंधित कविता अत्यंत भावनात्मक और सुन्दर है ! आपके हाथों में जादू है !
शायद मै पहली बार आया हूँ आपके ब्लॉग पर . अच्छा लगा की की आप बहु आयामी व्यक्तित्व की मालकिन है जो कई कलाओ में पारंगत हो . कढाई करने के बाद उस आकृति पर कविता लिखना मन को अह्वलादित कर गया . आभार .
आदरणीय क्षमा जी
नमस्कार !
खूबसूरत कविता
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आपकी इस फ्यूजन कला को सलाम !
पहली या दूसरी बार ही लिख रहा हूँ यहाँ संभवतः, लेकिन सचमुछ कमाल की है आपकी कला
शानदार!
आप की ये पंक्तियाँ हर दिल अज़ीज़ हैं , शायद इसलिए भी ...कि ये हर दिल की आवाज हैं ...
दोनों ही एक से बढ़कर एक
दूर हों दुनिया में वो प्रियतम चाहे जहाँ,
यादों के साथ,उन्हें भी पास ले आना!
आपके अकेलेपन ने बहुत सुंदर भाव के साथ एक सार्थक कविता की रचना की ...आपका आभार
sarita ji ne bahut pyaari baate kahi ,aapke haatho me jaadoo hai ,rachna behad sundar lagi .
तनहाई जितनी कष्टकर है उतनी फायदेमन्द है तनहाई में ही सुन्दर रचनाये और सुन्दर चित्रकारी निर्मित होती है।
एकान्त कभी अपने से बाते करने का अवसर देता है और कभी केवल अपने से भागने को आतुर हो जाता है। खूबसूरती से लिखी गयी रचना, बधाई।
bahut sundar... bharatpur kee yaad dila dee apne... shukriya...
ये तन्हाई ही तो है जो ऐसी खूबसूरत कलाकृतियों को जन्म देती है । आप कभी तन्हा नही होंगी आपका इल्म जो है आपके साथ और इसी की वजह से आपके अपने भी खिंचे चले आयेंगे ।
kshama di.....kya panktiyan likhi hai...seedhe dil par asar karti hai
hridayshparsi post.
Fantabulous...
You made my day... Got something great to read after such a long time :)
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