क्यों करते हैं याद उनको,
जो हमें याद करते नही?
क्यों तकते हैं राह उनकी,
जब वो इधरसे गुज़रते नही?
रोज़ करते सिंगार, जबकि,
वो पलक उठा के देखते नही?
दौड़ते हैं खोलने द्वार, जानके भी,
आदतन,के ये कमबख्त जाती नही !
रविवार, 8 नवंबर 2009
सोमवार, 26 अक्टूबर 2009
शनिवार, 24 अक्टूबर 2009
soonee galee kaa mod....
रुको ,मै अभी आया ,
कह के जानेवाला,
कभी नही लौटा,
ना कहता तो सब्र होता,
सूनी गली के मोडको,
या द्वार के चौखट को,
परछाई या आहट को,
बैठे, बैठे,मन ना तकता..
कह के जानेवाला,
कभी नही लौटा,
ना कहता तो सब्र होता,
सूनी गली के मोडको,
या द्वार के चौखट को,
परछाई या आहट को,
बैठे, बैठे,मन ना तकता..
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2009
hansee kee namee...ek kshanika
वो धीरे से हँस दिए,
लगा, आह निकली सीने से...
आँखें भरी,भरी-सी थी,
होटों पे हँसी की नमी थी..
लगा, आह निकली सीने से...
आँखें भरी,भरी-सी थी,
होटों पे हँसी की नमी थी..
गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009
मुकम्मल जहाँ ...ek kshanika...
मैंने कब मुकम्मल जहाँ माँगा?
जानती हूँ नही मिलता!
मेरी जुस्तजू ना मुमकिन नहीं !
अरे पैर रखनेको ज़मीं चाही
पूरी दुनिया तो नही मांगी?
जानती हूँ नही मिलता!
मेरी जुस्तजू ना मुमकिन नहीं !
अरे पैर रखनेको ज़मीं चाही
पूरी दुनिया तो नही मांगी?
रविवार, 4 अक्टूबर 2009
2 kshanikayen
१)संगदिल सनम
पहले तो सनम ने हमें आँसू बना आँखों में बसाया ,
बेदर्द , संगदिल निकला , आँसू को संगपे गिरा दिया !
२ ) निशाने ज़ख्म
रहने दो ये ज़ख्मों निशाँ,
क्यों चाहो इन्हें मिटाना ?
ये सौगाते तुम्हारी हैं,
सिमटी -सी यादें तुम्हारी हैं,
सब तो छीन लिया,
छोडो, जो दिल में हमारी हैं !
पहले तो सनम ने हमें आँसू बना आँखों में बसाया ,
बेदर्द , संगदिल निकला , आँसू को संगपे गिरा दिया !
२ ) निशाने ज़ख्म
रहने दो ये ज़ख्मों निशाँ,
क्यों चाहो इन्हें मिटाना ?
ये सौगाते तुम्हारी हैं,
सिमटी -सी यादें तुम्हारी हैं,
सब तो छीन लिया,
छोडो, जो दिल में हमारी हैं !
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