मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

hansee kee namee...ek kshanika

वो धीरे से हँस दिए,
लगा, आह निकली सीने से...
आँखें भरी,भरी-सी थी,
होटों पे हँसी की नमी थी..

13 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

अरे वाह!! कितने जीवंत शब्द..

अजय कुमार ने कहा…

kya baat hai

ज्योति सिंह ने कहा…

vandana ji sahi kahi .moti ki tarah bilkul .happy diwali .

Pramod Kumar Kush 'tanha' ने कहा…

achchha laga gun-gunaakar ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

क्षमा जी!
आज अनायास ही घूमते हुए इस ब्लॉग पर आया तो पाया कि तुम तो कलाकार के साथ-साथ एक अच्छी शायरा भी हो। बढ़िया शेर लिखा है तुमने।
धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

आँखें भरी,भरी-सी थी,
होटों पे हँसी की नमी थी..
bahut hi sundar rachna, dard ka poori tarah se ahsas karati hui si.
ek kalakar ka doosre ko salaam.

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

dheere se hansna bhi sachmuch insaani prakarti ka anmol khajaanaa he/
aapki chaar laine...ashakt he/

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

बेहद खुबसूरत क्षणिका
हौले से मुस्कृति सी...................

हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

सर्वत एम० ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
kshama ने कहा…

सर्वत एम० ने आपकी पोस्ट " hansee kee namee...ek kshanika " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:

कविता, वो भी क्षणिका की सूरत में, निभाना बहुत दुश्वार होता है. आप तो सिद्धहस्त रचनाकार लगती हैं. एक-एक शब्द लगता है मोतियों को लड़ी में पिरो दिया गया हो. मैं देर, बहुत देर से आपके ब्लॉग तक आया, उस पर भी सितम यह हुआ कि आपके 'बिखरे सितारे' पर चला गया. वहां बड़ी तलाश के बावजूद कुछ भी देख पाने में कामयाबी नहीं मिली. मायूस हो कर लौट रहा था कि अचानक याद आ गया, एक ब्लॉग बाकी है.

daanish ने कहा…

"hotoN pe hansi ki nami tthi..."
apne aap meiN mukammil..sb kuchh
nayaab rachnaa
badhaaee

Unknown ने कहा…

acha hai..chote mein bahut sara kuch keh gaye aap...hansi ki nami ..wah...kya baat ...

sunil kumar sagar ने कहा…

aap ka blog etne achche hain ki har aadmi padhana chahige .