अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई......aah ,,,,,, waaaah kya baat hai bahut hi sundar rachna hai achha laga aakar aabhaar
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई......अच्छी शिकायत की है आपने इस क्षणिका में!
क्षमा जी बहुत अचछी कविता बन पडी है ।
bahut sunder shavdo me bhavo kee abhivyktee .
सुंदर
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई...... पहली बार आई आपके ब्लॉग पर, अब लगता है बार बार आना पड़ेगा।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है ...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई...वाह! तीनों पद स्वतंत्र मुक्तक के सामान है...बहुत सुन्दर लेखन...सादर बधाई...
बहुत ही बढ़िया। सादर
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई.....बहुत ही सुन्दर ! बहुत बहुत बहुत सशक्त रचना ! बधाई !
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,तेरीही चाँदनी बरसाके,बरसों, जला रहा कोई......बेहतरीन ..चांदनी बरसा के जलाने की कल्पना ..बहुत ही शशक्त रचना आपको शुभकामनायें एवं बधाइयाँ !!!
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11 टिप्पणियां:
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
aah ,,,,,, waaaah
kya baat hai
bahut hi sundar rachna hai
achha laga aakar
aabhaar
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
अच्छी शिकायत की है आपने इस क्षणिका में!
क्षमा जी बहुत अचछी कविता बन पडी है ।
bahut sunder shavdo me bhavo kee abhivyktee .
सुंदर
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
पहली बार आई आपके ब्लॉग पर, अब लगता है बार बार आना पड़ेगा।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई...
वाह!
तीनों पद स्वतंत्र मुक्तक के सामान है...
बहुत सुन्दर लेखन...
सादर बधाई...
बहुत ही बढ़िया।
सादर
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई.....
बहुत ही सुन्दर ! बहुत बहुत बहुत सशक्त रचना ! बधाई !
अए चाँद, सुन मेरे शिकवे,
तेरीही चाँदनी बरसाके,
बरसों, जला रहा कोई......
बेहतरीन ..चांदनी बरसा के जलाने की कल्पना
..बहुत ही शशक्त रचना आपको शुभकामनायें एवं बधाइयाँ !!!
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