शनिवार, 6 मार्च 2010

रुत बदल दे !

पार कर दे हर सरहद जो दिलों में ला रही दूरियाँ ,
इन्सानसे इंसान तक़सीम हो ,खुदाने कब चाहा ?
लौट के आयेंगी बहारें ,जायेगी ये खिज़ा,
रुत बदल के देख, गर, चाहती है फूलना!
मुश्किल है बड़ा,नही काम ये आसाँ,
दूर सही,जानिबे मंजिल, क़दम तो बढ़ा!


14 टिप्‍पणियां:

Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut khoob. Badhai!!

शारदा अरोरा ने कहा…

ब्लॉग पर लगी तस्वीर ही बहुत कुछ कह जा रही है , खुदा ने कब चाहा ,सचमुच इंसान ही काल्पनिक दूरियाँ बना लेता है , कदम तो बढ़ा , एक सार्थक पहल .....

Apanatva ने कहा…

bahut sunder vicharo ko gutha haiise rachana me aapne .

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

सुन्दर सन्देश...
सभी को हिम्मत करनी होगी...

Unknown ने कहा…

सही कहा आपने,मंज़िल कितनी भी दूर हो प्रयास करना चाहिए

विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

शमीम ने कहा…

महोदया सुन्दर रचना.
मन्ज़िल तक पहुंचने के लिये कदम तो बडाना जरुरी है.

ज़मीर ने कहा…

रचना अच्छी लगी.
मन्ज़िल तक पहुंचने के लिये कोशिश तो करनी होगी.
और पहला कदम हि- कदम बडाना है.....

BrijmohanShrivastava ने कहा…

मनोबल बढाने वाली रचना \मुश्किल है काम आसान भी नहीं है फिर भी कदम बढाने का हौसला देना बहुत उत्तम रचना | मंजिलें फिर करीब आयेंगी अय अजीजानो काफिला तो चले की मानिंद रचना | जो बातें दूरियां बढ़ा रही है उसकी हद से पार उतर जाने की सलाह देती रचना | मंजिल की तरफ कदम तो बढ़ा से याद आया ""जिन खोजा तिन पाहियाँ गहरे पानी पैठ , हौं बौरी डूबन डरी रही किनारे बैठ ""

Pawan Kumar ने कहा…

bahut khoob. Badhai!!
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनायें...... !

रचना दीक्षित ने कहा…

कोशिश तो बहुत बार की कदम बढ़ाने की पर सफलता कितनी मिली ये तो वक़्त ही बताता है और वो समय भी स्वयं ही निर्धिरित करता है बधाई

रचना दीक्षित ने कहा…

कोशिश तो बहुत बार की कदम बढ़ाने की पर सफलता कितनी मिली ये तो वक़्त ही बताता है और वो समय भी स्वयं ही निर्धिरित करता है बधाई

मोहसिन ने कहा…

Aapki yeh rachnaa achi lagi .

ज्योति सिंह ने कहा…

aapki rachna bahut hi sundar lagi

Satya ने कहा…

what is the meaning of "रुत". Please tell me.