सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

मुकम्मल जहाँ ...एक क्षणिका ...


मैंने कब मुकम्मल जहाँ माँगा?
जानती हूँ नही मिलता!
मेरी जुस्तजू ना मुमकिन नहीं !
अरे पैर रखनेको ज़मीं चाही,
माथे पर   एक टुकडा आसमाँ,
पूरी दुनिया तो नही माँगी?


26 टिप्‍पणियां:

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

इस माँग को भी पूरा करने से डर लगता है, कभी किसी ने सिर्फ तीन क़दमों में पूरी क़ायनात नाप दी थी, और देने वाले को पाताल में जगह मिली...

Unknown ने कहा…

jisko itna mil jaye usse dunia ki kya jarurat....

bahut sundar .....

Jai HO Mangalmay ho

शारदा अरोरा ने कहा…

badhiya , kahan milta hai mutthi bhar asman , jo milta hai vo bhi , mutthi se fisal jata hai ...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kuchh panktiyon me pure jahan ko samet liya..:)...aur fir salil bhaiya ka comment wo to lajabab hai..!

Arvind Mishra ने कहा…

अब इतने पर तो हक़ होना ही चाहिए परवर दिगार -भावपूर्ण पंक्तियाँ

निर्मला कपिला ने कहा…

पूरी दुनिया से प्यार भरा एक जहाँ ही मुकम्मल होता है। बहुत भावमय क्षणिका। शुभकामनायें।

vijay kumar sappatti ने कहा…

bahut hi kam shbdo me aapne apni baat kah di , badhayi sweekar kare.

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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खूब..

BrijmohanShrivastava ने कहा…

मुकम्मल जहां नहीं मिलता जानती हूं। गजल भी है कहीं जमी तो कही आसमां नहीं मिलता । पैर रखने केा जगह चाही थी सही भी है जमीन बहुत ही कम दी है पैर फैलाउ तो दीवार से सर लगता है।आसमान का भी एक ही टुकडा मांगा था पूरी कायनात कहां मांगी थी ।छोटी सी रचना संदेश देती है कि व्यक्ति को उतना ही मांगना चाहिये जितनी आवश्यकता हो

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन एवं उम्दा!!

ज्योति सिंह ने कहा…

ye bhi haq hai magar koi samjhe jab .sundar .

Khare A ने कहा…

kya baat he!
sudnsr abhivyakti Kshama ji

mridula pradhan ने कहा…

मैंने कब मुकम्मल जहाँ माँगा?
जानती हूँ नही मिलता!
ekdam jeewan ka sachcha roop.

Sunil Kumar ने कहा…

बहुत भावमय क्षणिका। शुभकामनायें।

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति बधाई

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति बधाई

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

BAHUT SUNDAR !

POOJA... ने कहा…

ह्म्म्म... बहुत कम शब्दों में ढेर सारी भावनाएं...
कहीं भीतर उतारी है आसमान को छूने वाली पंक्तियाँ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है ... ये कुछ भी नहीं ... पर कभी कभी ऊपर वाला इतना बेरहम हो जाता है की कुछ नहीं देता ... गहरे जज़्बात पिरोये हैं ..

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ye thodi si chaah hi puri ho jaye to istri isi ko swarg samjhne lagti hai. lekin itna bhi nahi milta.
bahut bhaavpoorn rachna.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

भावनात्मक कविता ! दिल की हाय है !

Dimple ने कहा…

No word other than ... "Beautiful"...

Regards,
Dimple

Ajit Pal Singh Daia ने कहा…

बेहतरीन एवं उम्दा!!......

abhi ने कहा…

पूरी दुनिया तो नही माँगी?...फिर उसे क्या दिक्कत है देने में...लेकिन फिर भी मांग पूरी नहीं होती :)

अनुभूति ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और कोमल काब्यांजलि...

निर्झर'नीर ने कहा…

आपने तो क्षणिका में जिंदगी को समेट दिया बहुत गहरा लिखा है, ....आपके भाव सिर्फ महसूस किये जा सकते है उनकी तारीफ़ में कुछ कहना बहुत मुस्किल होता है